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Paush Purnima 2025: आज है पौष पूर्णिमा, जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Paush Purnima 2025: पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का आकार पूरा होता है. पौष के माह को सूर्य का माह भी कहा जाता है. पौष पूर्णिमा के दिन स्नान और दान को महत्वपूर्ण माना गया है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन की हर बाधा दूर होती है.

पौष पूर्णिमा 2025 पौष पूर्णिमा 2025
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:22 AM IST

Paush Purnima 2025: हिंदू धर्म में पूर्णिमा को बेहद खास माना जाता है. इस बार की पौष मास की पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 यानी आज है. यह साल 2025 की पहली पूर्णिमा है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण आकार में होता है. पौष को भगवान सूर्य का महीना कहा जाता है इसलिए इस महीने में आने वाली पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहते हैं. हिन्दू धर्म में इस पूर्णिमा का काफी महत्व दिया जाता है और इस दिन लोग अलग-अलग रीति-रिवाज़ों से पूजा करते हैं. मान्यता के अनुसार, पौष पूर्णिमा पर विधिवत पूजन से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बतलाया गया है. तो डॉ. श्रीपति त्रिपाठी जी से जानते हैं कि पौष पूर्णिमा पर पूजन के लिए क्या मुहूर्त

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पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी यानी आज सुबह 5 बजकर 03 मिनट पर हो चुकी है और तिथि का समापन 14 जनवरी को अर्धरात्रि 3 बजकर 56 मिनट पर होगा. 

स्नान दान का समय- सुबह 5 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा.

पौष पूर्णिमा पूजन विधि (Paush Purnima  Pujan Vidhi) 

सुबह स्नान से पहले व्रत करने का संकल्प लिया जाता है. पवित्र नदी में नहाने के बाद भगवान को अर्घ्य दें. सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं. इस दिन कंबल, गुड़, तिल जैसी चीजों का दान करना शुभ माना जाता है.

पौष पूर्णिमा का महत्व (Paush Purnima  Importance) 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, पौष सूर्य देव का माह कहलाता है. इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है. पौष का महीना सूर्य देव का माह है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है. अतः सूर्य और चंद्रमा का यह अद्भूत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती है.

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