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Rama Ekadashi 2021: रमा एकादशी पर करें व्रत, भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी होती हैं प्रसन्न

Rama Ekadashi 2021: कार्तिक माह की अंतिम एकादशी को रमा एकादशी (Rama Ekadashi) भी कहा जाता है. ये एकादशी दिवाली से चार दिन पहले आती है. रमा एकादशी के दिन से ही लक्ष्मी पूजा की शुरुआत हो जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के केशव स्वरूप के साथ-साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. माता लक्ष्मी का एक और नाम रमा भी है जिसकी वजह से इस एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है.

Rama Ekadashi 2021 Rama Ekadashi 2021
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST
  • दिवाली से चार दिन पहले रखा जाता है व्रत
  • इस दिन से शुरू होती मां लक्ष्मी की पूजा

Rama Ekadashi 2021 date: रमा एकादशी (Rama Ekadashi) पर व्रत और पूजा से विशेष लाभ मिलता है. मान्यता है कि इसके प्रभाव से महापाप भी दूर हो जाते हैं. इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा कर नैवेद्य अर्पण किया जाता है और आरती करके प्रसाद बांटा जाता है. इस बार यह एकादशी 1 नवंबर 2021 दिन सोमवार को है. मान्यता के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. वहीं मां लक्ष्मी की कृपा से कभी भी घर में धन की कमी नहीं रहती है. 

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रमा एकादशी व्रत महत्व 
कार्तिक कृष्ण एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है. रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. सभी एकादशी में रमा एकादशी का महत्व कई गुना ज्यादा माना गया है. रमा एकादशी अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक फलदाई मानी गई है. कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति ये व्रत करता है उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं. ये व्रत करने वाले के जीवन में समृद्धि और संपन्नता आती है.

रमा एकादशी की पूजन विधि 
रमा एकादशी का व्रत करने वालों पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है.  इस दिन भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पूजा के बाद इस प्रसाद को सभी लोगों में जरूर बांटें. रमा एकादशी के दिन गीता का पाठ करने का खास महत्व बताया गया है. इस दिन शाम के समय भगवान विष्णु की विेशेष पूजा की जाती है. अगले दिन मंदिर में जाकर पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा देना शुभ होता है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति मृत्यु के उपरान्त मुक्ति प्राप्त करता है.

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रमा एकादशी व्रत की कथा
प्राचीनकाल में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक महाक्रूर बहेलिया रहता था. उसने अपनी सारी जिंदगी, हिंसा,लूट-पाट, मद्यपान और झूठे भाषणों में व्यतीत कर दी. जब उसके जीवन का अंतिम समय आया तब यमराज ने अपने दूतों को क्रोधन को लाने की आज्ञा दी. यमदूतों ने उसे बता दिया कि कल तेरा अंतिम दिन है. मृत्यु भय से भयभीत वह बहेलिया महर्षि अंगिरा की शरण में उनके आश्रम पहुंचा. महर्षि ने दया दिखाकर उससे रमा एकादशी का व्रत करने को कहा. इस प्रकार एकादशी का व्रत-पूजन करने से क्रूर बहेलिया को भगवान की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति हो गई.

 

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