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Shani Pradosh Vrat 2025: नए साल का पहला प्रदोष व्रत आज, जानें शिव जी और शनि देव के पूजन का मुहूर्त

Shani Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है. शिव पुराण में इस व्रत की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है. यह व्रत हर मास की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो महीने में दो बार पड़ता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है, उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.

शनि प्रदोष व्रत 2025 शनि प्रदोष व्रत 2025
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:45 AM IST

Shani Pradosh Vrat 2025: आज साल 2025 का पहला शनि प्रदोष व्रत है और शास्त्रों में इसका विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और जब यह व्रत शनिवार को पड़ता है तो इसे शनि प्रदोष कहा जाता है. यह व्रत शनिदेव और भगवान देवाधिदेव महादेव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है जो जीवन में शांति, समृद्धि और रोगों से मुक्ति प्रदान करता है. 

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शनि प्रदोष व्रत का महत्व

शनि प्रदोष व्रत रखने से शनि दोष और साढ़ेसाती के कुप्रभाव कम होते हैं. शनि देव की कृपा से जीवन में आने वाली कठिनाइयां कम होती हैं. इस व्रत में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है. यह व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं. शनि प्रदोष व्रत रखने से स्वास्थ्य संबंधित अगर आपको कोई समस्याएं हैं तो उससे भी आपको मुक्ति मिलती है. यह व्रत रोगों को दूर करने में भी सहायक माना जाता है. व्रत के प्रभाव से जीवन में आर्थिक उन्नति होती है और समृद्धि प्राप्त होती है. 

शनि प्रदोष व्रत का पूजन मुहूर्त

शनि प्रदोष की त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी यानी आज सुबह 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 12 जनवरी यानी कल सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर होगा. 

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पूजन का मुहूर्त- शाम 5 बजकर 43 मिनट से सुबह 8 बजकर 26 मिनट पर होगा. 

शनि प्रदोष व्रत पूजन विधि

स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें और फिर शिव परिवार सहित सभी देवी देवताओं की विधिवत पूजा करें. अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें. फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं और शिव मंदिर या घर के मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा अर्चना करें. उसके बाद शनि प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण करें और फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव जी की आरती करें और अंत में शिव जी का मंत्र पढ़े नमः शिवाय मंत्र का जप करें . प्रदोष काल में भगवान शिव जी और शनिदेव की पूजा करना काफी लाभप्रद होगा. 

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