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Som Pradosh Vrat 2021: सोम प्रदोष व्रत आज, इस पूजन विधि से पूरी होंगी मनोकामनाएं

Som Pradosh Vrat 2021: हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस महीने की ये तिथि 4 अक्टूबर यानी आज है. जो प्रदोष व्रत सोमवार के दिन के पड़ता है उसे सोम प्रदोष कहते हैं.

भगवान शिव की प्रदोष काल में करें पूजा भगवान शिव की प्रदोष काल में करें पूजा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST
  • भगवान शिव का होता है पूजन
  • प्रदोष काल का रखें विशेष ध्यान

Som Pradosh Vrat 2021: आज सोम प्रदोष व्रत है. हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है. जो प्रदोष सोमवार को पड़ता है उसे सोम प्रदोष कहा जाता है. सोम प्रदोष व्रत करने और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से हर कष्ट से मुक्ति मिलती है. सोम प्रदोष को चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है. इसे मनोकामनायों की पूर्ति करने के लिए किया जाता है. 

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हर कष्ट होता है दूर 
ज्योतिषाचार्य अरविंद मिश्र के अनुसार सूर्यास्त के बाद और रात का अंधेरा होने से पहले का समय प्रदोष काल कहलाता है. प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-पाठ और उपवास को काफी महत्वपूर्ण माना गया है. सच्चे मन से व्रत रखने वाले जातकों को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है. कलयुग में प्रदोष व्रत को करना बहुत मंगलकारी माना गया है. भगवान शिव की अराधना करने से जातक के सभी कष्ट ही दूर नहीं होते हैं, बल्कि मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों के दान जितना होता है. 

व्रत के नियम और विधि
सोम प्रदोष व्रत कठिन माना जाता है. ये व्रत निर्जल रखा जाता है, यानि व्रत के दौरान पानी नहीं पी सकते हैं. सुबह स्नान आदि के बाद भगवान शिव की पूजा करें. प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं. स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनें और भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें, इसके बाद अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से पूजा करें.

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इस मंत्र का करें जाप
पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान कर लें और सफेल रंग के वस्त्र धारण करें. गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. इसके बाद गाय के गोबर से मंडप तैयार करें और मंडप में पांच रंग से रंगोली बनाएं. पूजा की तैयारी के बाद उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं और भगवान शिव के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जाप करें और शिव जी को जल चढ़ाएं.

 

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