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Utpanna Ekadashi 2022: आज है उत्पन्ना एकादशी, यहां जान लें सही मुहूर्त और पूजन विधि

Utpanna Ekadashi 2022: आज है उत्पन्ना एकादशी. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा की जाती है. भारत के उत्तरी भाग में, उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष के महीने में मनाई जाती है जबकि भारत के विभिन्न हिस्सों में यह कार्तिक के महीने में मनाई जाती है. आइए जानते हैं कि उत्पन्ना एकादशी का दिन क्यों खास माना जाता है.

उत्पन्ना एकादशी 2022 उत्पन्ना एकादशी 2022
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:35 AM IST

Utpanna Ekadashi 2022: उत्पन्ना एकादशी का हिंदुओं में बहुत महत्व है. इसे उत्पत्ती एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. उत्पन्ना एकादशी के इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु के भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. यह एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को मनाई जाती है. इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर 2022 को यानी आज के दिन किया जा रहा है. 

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उत्पन्ना एकादशी महत्व (Utpanna Ekadashi 2022 Importance) 

उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग इस शुभ दिन पर उपवास करते हैं. उन्हें सभी पापों से  छुटकारा मिल जाता है और वो लोग सीधे वैकुंठ धाम (भगवान विष्णु का निवास) जाते हैं. भारत के उत्तरी भाग में, उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष के महीने में मनाई जाती है जबकि भारत के विभिन्न हिस्सों में यह कार्तिक के महीने में मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता एकादशी की भी पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की शक्तियों में से एक देवी एकादशी ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. 

उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त (Utpanna Ekadashi 2022 Shubh Muhurat)

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हिंदू पंचांग के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के 11 वें दिन मनाई जाती है. उत्पन्ना एकादशी की शुरुआत 19 नवंबर 2022 यानी कल सुबह 10 बजकर 29 मिनट से हो चुकी है और इसका समापन 20 नवंबर 2022 यानी आज सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर यानी आज ही मनाई जाएगी. इसका पारण 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 40 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक होगा. 

उत्पन्ना एकादशी पूजन विधि (Utpanna Ekadashi 2022 Pujan Vidhi)

एकादशी के दिन सुबह उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. सुबह सभी कार्यों को करने के बाद स्नान करें. भगवान का पूजन करें तथा व्रत कथा जरूर सुने. इस व्रत में भगवान विष्णु को सिर्फ फलों का ही भोग लगाएं. रात में भजन-कीर्तन करें. जाने-अनजाने कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए भगवान श्रीहरि से क्षमा मांगे. द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन करवाकर उचित दान दक्षिणा देकर फिर अपने व्रत का पारण करें.

उत्पन्ना एकादशी के दिन करें ये उपाय (Utpanna Ekadashi 2022 Upay)

1. कारोबार में तरक्की करना चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच गुंजाफल भगवान के सामने रखकर उनकी पूजा करें. पूजा के बाद उन गुंजाफल को अपनी तिजोरी या गल्ले में रख लें.

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2. घर की सुख-शांति बनाए रखने के लिए इस दिन अपने घर के मंदिर में दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना करनी चाहिए और उसकी रोली, धूप-दीप आदि से पूजा करें.

3. अगर आप किसी भी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से बचे रहना चाहते हैं तो इस दिन तुलसी की जड़ की थोड़ी-सी मिट्टी लेकर उसे पानी में डालकर उससे स्नान करना चाहिए. फिर साफ पानी से स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहने.

उत्पन्ना एकादशी के दिन न करें ये गलतियां

1. उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक आहार और व्यवहार से दूर रहना चाहिए.

2. उत्पन्ना एकादशी के दिन अर्घ्य सिर्फ हल्दी मिले जल से ही दें. रोली या दूध का प्रयोग अर्घ्य में न करें.

3. सेहत ठीक नहीं है तो उपवास ना रखें, बस प्रक्रियाओं का पालन करें.

4. उत्पन्ना एकादशी के दिन मिठाई का भोग लगाएं, इस दिन फलों का भोग न लगाएं. 

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं एकादशी माता के जन्म और इस व्रत की कथा युधिष्ठिर को सुनाई थी. सतयुग में मुर नामक एक बलशाली राक्षस था. उसने अपने पराक्रम से स्वर्ग को जीत लिया था. उसके पराक्रम के आगे इंद देव, वायु देव और अग्नि देव भी नहीं टिक पाए थे इसलिए उन सभी को जीवन यापन के लिए मृत्युलोक जाना पड़ा. निराश होकर देवराज इंद्र कैलाश पर्वत पर गए और भगवान शिव के समक्ष अपना दु:ख बताया. इंद्र की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उन्हें भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहते हैं. इसके बाद सभी देवगण क्षीरसागर पहुंचते हैं, वहां सभी देवता भगवान विष्णु से राक्षस मुर से अपनी रक्षा की प्रार्थना करते हैं. भगवान विष्णु सभी देवताओं को आश्वासन देते हैं. 

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इसके बाद सभी देवता राक्षस मुर से युद्ध करने उसकी नगरी जाते हैं. कई सालों तक भगवान विष्णु और राक्षस मुर में युद्ध चलता है. युद्ध के समय भगवान विष्णु को नींद आने लगती है और वो विश्राम करने के लिए एक गुफा में सो जाते हैं. भगवान विष्णु को सोता देख राक्षस मुर उन पर आक्रमण कर देता है. लेकिन इसी दौरान भगवान विष्णु के शरीर से कन्या उत्पन्न होती है. इसके बाद मुर और उस कन्या में युद्ध चलता है. इस युद्ध में मुर घायल होकर बेहोश हो जाता है और देवी एकादशी उसका सिर धड़ से अलग कर देती हैं. इसके बाद भगवान विष्णु की नींद खुलने पर उन्हें पता चलता है कि किस तरह से उस कन्या ने भगवान विष्णु की रक्षा की है. इसपर भगवान विष्णु उसे वरदान देते हैं कि तुम्हारी पूजा करने वाले के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी.

 

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