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Varuthini Ekadashi 2021: वरुथिनी एकादशी की क्या है महिमा? जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है.

Varuthini Ekadashi 2021: वरुथिनी एकादशी की क्या है महिमा? जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त Varuthini Ekadashi 2021: वरुथिनी एकादशी की क्या है महिमा? जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:09 PM IST
  • एकादशी व्रत से चन्द्रमा का हर खराब प्रभाव कम
  • ग्रहों के बुरे असर से भी राहत

व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी हैं. इनमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है. इसके अलावा एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.

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वरुथिनी एकादशी इतनी महत्वपूर्ण क्यों है?
वैसे तो हर एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण है. फिर भी हर एकादशी की अपने आप में कुछ अलग महिमा भी है. इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को सर्वदा समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान के मधुसूदन स्वरूप की उपासना की जाती है. रात्रि में जागरण करके उपासना करने से व्यक्ति के जीवन में मंगल ही मंगल होता है. इस दिन श्री वल्लभाचार्य का जन्म भी हुआ था. पुष्टिमार्गीय वैष्णवों के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है. इस बार वरुथिनी एकादशी 07 मई को मनाई जाएगी.

वरुथिनी एकादशी का मुहूर्त
एकादशी तिथि गुरुवार, 06 मई 2021 को दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से प्रारंभ होकर शुक्रवार, 07 मई 2021 को शाम 03 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. एकादशी व्रत पारण मुहूर्त शनिवार, 08 मई को सुबह 05 बजकर 35 मिनट से सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक रहेगा.

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वरुथिनी एकादशी पर कैसे करें पूजा?
इस दिन उपवास रखना बहुत उत्तम होता है. अगर उपवास न रख पाएं तो कम से कम अन्न न खाएं. भगवान कृष्ण के मधुसूदन स्वरुप की उपासना करें. उन्हें फल और पंचामृत अर्पित करें. उनके समक्ष "मधुराष्टक" का पाठ करना सर्वोत्तम होगा. अगले दिन प्रातः अन्न का दान करके व्रत का पारायण करें.

 

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