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Vijaya Ekadashi 2025 Date: विजया एकादशी आज, जानें इसकी पौराणिक कथा और दान का महत्व

Vijaya Ekadashi 2025: विजया एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व एवं व्रत है, जिसे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत को विशेष रूप से पापों से मुक्ति और विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने लंका विजय से पहले विजया एकादशी का व्रत किया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने लंका विजय से पहले विजया एकादशी का व्रत किया था.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

Vijaya Ekadashi 2025: इस वर्ष विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी यानी है. विजया एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व एवं व्रत है, जिसे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. इस व्रत को विशेष रूप से पापों से मुक्ति और विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के पालन से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.

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व्रत विधि
एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें और व्रत का संकल्प लें. फिर एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान को फल, फूल आदि अर्पित करें. व्रत रखें और भजन-कीर्तन करें. रात्रि जागरण के समय भगवान के नाम का स्मरण करें और प्रसाद वितरित करें. द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-पुण्य करने के बाद व्रत का पारण करें.

दान की सावधानियां और नियम
विजया एकादशी पर दान का विशेष महत्व बताया गया है. लेकिन इस दिन दान के भी कुछ खास नियम होते हैं. दान कभी भी किसी दबाव में नहीं देना चाहिए. दान कभी भी ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहिए जो कुपात्र हो. जो भी वस्तुएं दान में दी जाएं. वो उत्तम कोटि की हों. कुंडली में जो ग्रह महत्वपूर्ण हों, उनका दान कभी न करें. दान देते समय मन में हमेशा ये भाव रखें कि ये वस्तु ईश्वर की दी हुई है और ये सेवा या दान मैं ईश्वर को ही कर रहा हूं. इन बातों को ध्यान में रखकर दान कीजिए.

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विजया एकादशी व्रत की कथा
हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान राम ने लंका विजय से पहले इस व्रत को किया था. भगवान राम अपनी सेना के साथ माता सीता को बचाने और रावण से युद्ध करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे. वहां उन्हें अथाह समुद्र देखकर चिंता हुई. जब भगवान श्रीराम समुद्र पार करने के लिए उपाय खोज रहे थे, तब ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें विजया एकादशी व्रत करने की सलाह दी थी. इस व्रत के प्रभाव से वे सफलतापूर्वक लंका पर विजय प्राप्त कर सके.

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