Chandra Grahan 26 May 2021 effect on India: 26 मई को इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. हालांकि, पूरे भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा. ये चंद्र ग्रहण चंद कुछ मिनटों के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों में दिखेगा.
इस चंद्र ग्रहण के लगने से न तो सूतककाल होगा और ना ही किसी तरह का लाभ-हानि होगा. हां लेकिन ग्रह-नक्षत्रों की चाल के मुताबिक, इस ग्रहण के बाद से महामारी का असर कुछ कम हो सकता है और इसकी वजह से कुछ भौगोलिक उथल-पुथल भी हो सकती है.
26 मई को चंद्र ग्रहण के बारे में जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि इस वर्ष 2021 में कुल चार ग्रहण लग रहे हैं. दो चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण. वैशाख शुक्ल पूर्णिमा बुधवार को 26 मई के मध्याह्न काल से चंद्रग्रहण का प्रारंभ होगा और सायंकाल पर यह खत्म होगा.
ऐसा शास्त्रों में वर्णित है कि जहां ग्रहण दिखाई पड़ता है तो वहीं ग्रहण का सूतक और फल मिलता है. मध्याह्न काल में 3 बजकर 15 मिनट पर यह ग्रहण लगेगा और इसके मध्य का समय 4 बजकर 49 मिनट पर होगा और ग्रहण का मोक्ष शाम 6 बजकर 23 मिनट पर होगा.
यह ग्रहण सौरमंडल में जब लगेगा तब ग्रहों की स्थितियां मंगल होगी लेकिन यह चंद्र ग्रहण में चंद्रमा वृश्चिक राशि में निवास कर रहा है. यह नीच का चंद्रमा कहा जायेगा. यह ग्रहण वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र पर है. वृश्चिक राशि के लोगों को ग्रहणकाल में सावधान रहने की आवश्यकता है.
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि वृश्चिक राशि वालों को आकाशमंडल नहीं देखना चाहिए ग्रहणकाल में और अपने घरों में ही रहना चाहिए. यह चंद्र ग्रहण पूर्वोत्तर राज्यों दीमापुर, इंफाल, मणिपुर, असम, गुवाहाटी और सिलचर जैसी जगहों पर अंतिम वक्त में 2-4 मिनट तक दिखाई पड़ेगा. इसके अलावा ये भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा. इसलिए इसका सूतक और दोष अन्य जगहों पर मान्य नहीं होगा.
कोरोना की महामारी के दौरान लगने वाले चंद्र ग्रहण के असर के सवाल के जवाब में ज्योतिषी दीपक मालवीय ने बताया कि वर्तमान समय में सौर्यमंडल में ग्रहण के दौरान की स्थितियों को देख कर ऐसा लग रहा है कि कोरोना नाम की महामारी से 26 मई से राहत मिलनी चाहिए और जून के दूसरे सप्ताह से इसमें भारी कमी भी आ जायेगी.
वहीं चंद्र ग्रहण की वजह से प्राकृतिक उथल-पुथल के सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि ग्रहण के 15 दिन पूर्व और बाद तक पृथ्वी पर भूकंप और तूफान का आगमन होता है. जैसे अभी एक तूफान गुजर चुका है तो दूसरा यास नाम का तूफान आ रहा है. ज्योतिष शास्त्र में इनकी बुरी घटनाओं में गिनती की जाती है.