भारत में एक बार फिर तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस का संक्रमण लोगों की जिंदगी लील रहा है. संक्रमण की हालत ये है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अस्पताल में बेड भी नहीं मिल पा रहा है तो श्मशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार को लेकर लंबी कतारें देखी जा रही हैं. स्थिति का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि देश की राजधानी दिल्ली में भी अस्पतालों में लोगों को बेड और इलाज के लिए जूझना पड़ रहा है. हालात से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने वीकेंड लॉकडाउन का ऐलान तक कर चुकी है. लेकिन ऐसे कठिन समय में हरिद्वार में महाकुंभ जैसे आयोजन को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. (फोटो-PTI)
हरिद्वार में 15 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक, 600 से ज्यादा कोरोना के केस सामने आ चुके हैं. माना जा रहा है कि हरिद्वार में कोरोना के केस और बढ़ सकते हैं क्योंकि अभी हजारों रिपोर्ट आनी बाकी है. कुंभ की स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि निर्माणी अणि अखाड़े के महामंडलेश्वर की गुरुवार को कोरोना की चपेट में आने से मौत हो गई.(फोटो-PTI)
हरिद्वार में जारी महाकुंभ पर कोरोना का बड़ा खतरा को देखते हुए निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा ने संयुक्त रूप से कुंभ की समाप्ति का फैसला किया है. महाकुंभ में भीड़ होने की वजह से कई जगहों पर कोरोना प्रोटोकॉल के नियम भी टूटते नजर आए. न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है और न ही कोई मास्क लगाए नजर आ रहा है. इसे लेकर विदेशी मीडिया में आलोचना देखने को मिली तो लोगों ने सोशल मीडिया पर भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की.(फोटो-PTI)
डॉ. सुहैल रायचूर नाम के एक यूजर ने कोरोना प्रोटोकॉल पर सरकार के विरोधाभासी रुख को लेकर ट्वीट किया, शादी के लिए 100 मेहमानों की लिमिट, अंतिम संस्कार के लिए 50 लोगों की. 8 चरणों में चुनाव कराए जा रहे हैं और कुंभ मेले में 2 लाख लोग तक शामिल हो सकते हैं. (फोटो-PTI)
कांग्रेस की प्रवक्ता और डेंटिस्ट डॉ. शमां मोहम्मद ने महाकुंभ में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं को लेकर अपनी चिंता जाहिर कर चुकी हैं. उन्होंने 13 अप्रैल को ट्वीट किया था जिसमें लिखा, कुंभ में 102 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. 28 लाख श्रद्धालु 12 अप्रैल सोमवार को हरिद्वार कुंभ में पहुंचे. वहां पर थर्मल स्कैनिंग का कोई इंतजाम नहीं है और न ही मास्क न पहनने वालों पर एक्शन लिया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार की इस अनदेखी की वजह से लाखों श्रद्धालुओं की जिंदगी खतरे में है. (फोटो-PTI)
कर्नाटक के स्टूडेंट ऐक्टिविस्ट Athavulla punjalkatte ने ट्वीट किया, सरकार ने सभी मेडिकल प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए जानबूझकर कुंभ के शाही स्नान की अनुमति दी. ये कुछ नहीं बल्कि बहुसंख्यकों का तुष्टिकरण है. इस तरह के हालात में 30 लाख से ज्यादा की ये भीड़ पूरे देश को खतरे में डाल सकती है.
वहीं एक ट्विटर यूजर अमित प्रधान ने ट्वीट कर दावा किया कि दिल्ली में कोविड के मामलों में बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है क्योंकि यह हरिद्वार को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. कुंभ में भाग लेने वाले सभी श्रद्धालु पहले दिल्ली आएंगे और फिर वे साथ में वायरस को अपने संबंधित शहरों में ले जाएंगे.(फोटो-PTI)
फिल्मकार मनीष मुद्रा ने ट्वीट किया, 'सभी के लिए प्रार्थना करें. हमें नहीं पता कब और कहां हमारे आसपास या कोई करीबी किसी आफत में फंस जाए. इससे पहले मैं कभी इतने अवसाद में नहीं रहा. मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसे दिन भी देखने पड़ेंगे. हर कोई डरा-सहमा हुआ है. अभी जब कोई फोन आता है तो मेरी धड़कनें (अनहोनी की आशंका में) लगभग थम सी जाती हैं. हमारा बुरा हाल है. भगवान हमें बचाए.'(फोटो-PTI)
फिल्मकार मनीष मुद्रा के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए यूजर अतुल पांडे ने लिखा, 'सही कह रहे हैं. बहुत खराब समय चल रहा है. मुझे नहीं पता सरकार इसे स्वीकार क्यों नहीं कर रही है या हमसे कुछ छिपा रही है. कोरोना से बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन चिंता कि बात यह है कि हम हर पल किस न किसी की जिंदगी गंवा रहे हैं. ऐसे समय में चुनाव, IPL और कुंभ कराने की क्या जरूरत है. देश के नागरिकों की मदद करें.(फोटो-PTI)
कुंभ में साधु की मौत पर डॉ. अमरीश मित्तल ने ट्वीट किया, 'यह बुरी खबर है, लेकिन मैं इससे बिल्कुल हैरान नहीं हूं. आखिर क्यों? सोचिए तब क्या होगा कुंभ में हिस्सा लेने वाले लोग जब अपने घरों को लौटेंगे? यह COVID-19 के समय में सबसे बड़ी मानव निर्मित आपदा हो सकती है. बहुत निसहाय महसूस कर रहा हूं.' (फोटो-PTI)