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पाकिस्तान ने उजाड़ दिया था बांग्लादेश का ये मंदिर, राष्ट्रपति कोविंद करेंगे नए परिसर का लोकार्पण

aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 16 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST
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बांग्लादेश के इतिहास में साल 1971 का पन्ना कई दर्दों से भरा हुआ है. बांग्लादेश में पाकिस्तान के आतंक और क्रूरता को देख, भारत ने वहां के लोगों का साथ दिया. 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय जाबाजों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद बांग्लादेशियों ने आजाद हवा में सांस ली.

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इस आजादी से पहले बांग्लादेश को भयानक गृह युद्ध और व्यापक नरसंहार से होकर गुजरना पड़ा, जिसके निशान आज भी इस देश के भीतर और बाहर देखे जा सकते हैं. इसी हिंसा की कहानी को ढाका के मध्य भाग में स्थित श्री रमना काली बारी मंदिर बयां करता है.

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मार्च 1971 को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना ने न सिर्फ श्री रमना काली बारी मंदिर को ध्वस्त किया बल्कि इसमें मौजूद लोगों का नरसंहार भी किया था. हालांकि, बांग्लादेश के गृह युद्ध और व्यापक नरसंहार की कहानी देश में 1970 के आम चुनावों से शुरू हुई . 

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दरअसल, 1970 के आम चुनावों में शेख मुजीबर रहमान की पार्टी अवामी लीग सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के संस्थापक ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने चुनावी नतीजों को धता बताते हुए, विरोध शुरू कर दिया.

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इतना ही नहीं, शेख मुजीबर रहमान के समर्थकों के खिलाफ हिंसक ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया. इस ऑपरेशन का उद्देश्य विरोधियों को खत्म करना था. इस हिंसक ऑपरेशन में ये मंदिर टारगेट रहा, जिसे पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया. मंदिर में भीषण नरसंहार हुआ.

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हालांकि, उसके बाद लंबे समय तक इस मंदिर की ओर आजाद बांग्लादेश का ध्यान नहीं गया, लेकिन साल 2017 में भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बांग्लादेश यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई थी कि भारत इस मंदिर के पुनर्निर्माण में मदद करेगा, जिसके बाद मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू हुआ. 
 

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अब बांग्लादेश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर श्री रमना काली बारी मंदिर के नए निर्मित परिसर का लोकार्पण भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद करेंगे. 

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