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Ananga Trayodashi 2021: कब है अनंग त्रयोदशी? कामदेव और रति से जुड़ी है इसकी कथा

Ananga Trayodashi 2021 Date: भगवान शिव की पूजा आराधना के लिए साल में कई व्रत और त्योहार हैं. प्रत्येक व्रत का अलग ही महत्व बताया गया है. ऐसे ही प्रमुख व्रतों में से एक है अनंग त्रयोदशी. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती के साथ ही कामदेव और रति की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से धन, ऐश्वर्य, स्वास्थ और प्रेम विवाह वाली शादी में लाभ मिलता है. इस बार अनंग त्रयोदशी का व्रत 16 दिसंबर को रखा जाएगा.

Ananga Trayodashi 2021 Ananga Trayodashi 2021
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 15 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:54 PM IST
  • कामदेव और रति की भी पूजा का विधान
  • 16 दिसंबर को रखें अनंग त्रयोदशी का व्रत

Ananga Trayodashi 2021 Date: प्रेम विवाह में बाधाएं हैं या फिर शादी में कोई रुकावट आ रही है. वैसे तो भगवान शिव की पूजा से ये सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं, लेकिन मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की पूजा से विशेष लाभ मिलता है. इस त्रयोदशी को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य, स्वास्थ में तो लाभ मिलता ही है, साथ ही प्रेम विवाह या फिर शादी में आ रहीं रुकावटें भी दूर होती हैं. 

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अनंग त्रयोदशी पूजा विधि (Ananga Trayodash Puja Vidhi)
इस दिन गंगाजल डालकर सर्वप्रथम सुबह स्नान करना चाहिए.  सफ़ेद वस्त्र पहनें,  शिव मंदिर जाकर सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें.  इसके बाद दूध, दही, गुड़, घी और शहद से शिवजी का अभिषेक करें. शिवजी को सफेद फूल, सफेद मिठाई, बेलपत्र, केला और अमरूद अर्पित करें. फिर शिवजी के मंत्र ॐ नमः शिवाए का जाप करें और 13 सिक्के भी चढ़ाएं.  

शीघ्र विवाह के लिए क्या करें ?
1- शिवलिंग पर लाल सिंदूर और सफ़ेद फूल चढ़ाएं.  
2- 13 बेलपत्र चढ़ाएं और जल में गुड़ घोलकर उस से शिवलिंग का अभिषेक करें.  
3- शिवजी पर 13 तुलसी पत्र और 13 बताशे भी चढ़ाएं.  
4- कपूर से आरती करें.  
5- ॐ उमा महेश्वराये नमः का जाप करें. 

ये है कथा (Ananga Trayodash Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के वियोग में ध्यान मग्न हो गए थे, तो तीनों लोकों में असुरों का आतंक बढ़ गया. असुरों ने देवताओं से स्वर्ग लोक छीन लिया. हर ओर हाहाकार मच गया. उस समय देवी-देवताओं ने भगवान शिव का ध्यान तोड़ने की जिम्मेवारी कामदेव और रति को सौंपी. जब कामदेव और देवी रति ने भगवान शिव का ध्यान तोड़ने की चेष्टा की, तो भगवान शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को तीसरी नेत्र से भस्म कर दिया. यह देख रति वियोग करने लगीं. जब भगवान शिव का गुस्सा कम हुआ तो उन्होंने बताया कि वर्तमान में कामदेव को अनंग रूप में रहना पड़ेगा. कामदेव अभी भी जीवित हैं लेकिन, शरीर रूप में नहीं हैं. भगवान शिव ने रति को त्रयोदशी तक प्रतीक्षा करने को कहा. उन्होंने कहा, जब विष्णु कृष्ण के रूप में जन्म लेंगे, तब कामदेव, कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेंगे. भगवान शिव ने कहा कि आज की तिथि अनंग त्रयोदशी के नाम से जानी जाएगी. जो आज के दिन शिव-शक्ति के साथ कामदेव और र​ति की पूजा करेगा, उसे संतान सुख और सुखी वैवाहिक जीवन प्राप्त होगा.

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