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Ashadh Purnima 2022: मंगल से शनि तक पूर्णिमा पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग, 4 शुभ योग भी दे रहे दस्तक

इस साल आषाढ़ पूर्णिमा का दिन बेहद खास रहने वाला है. ज्योतिषविदों का कहना है कि पूर्णिमा तिथि पर पांच ग्रह अपनी ही राशि में रहेंगे. इतना ही नहीं, इस दिन ग्रह की विचित्र स्थिति चार शुभ योगों का निर्माण कर रही है.

Ashadh Purnima 2022: मंगल से शनि तक पूर्णिमा पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग, 4 शुभ योग भी दे रहे दस्तक Ashadh Purnima 2022: मंगल से शनि तक पूर्णिमा पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग, 4 शुभ योग भी दे रहे दस्तक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:33 PM IST
  • आषाढ़ पूर्णिमा पर बन रहा ग्रहों का शुभ संयोग
  • जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

आषाढ़ माह की पूर्णिमा बुधवार, 13 जुलाई को पड़ रही है. पूर्णिमा के दिन दान-धर्म के कार्यों का विशेष महत्व बताया गया है. इस साल आषाढ़ पूर्णिमा का दिन बेहद खास रहने वाला है. ज्योतिषविदों का कहना है कि पूर्णिमा तिथि पर पांच ग्रह अपनी ही राशि में रहेंगे. इतना ही नहीं, इस दिन ग्रहों की विचित्र स्थिति चार शुभ योगों का निर्माण भी कर रही है.

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ज्योतिषियों का कहना है कि आषाढ़ पूर्णिमा पर मंगल से लेकर शनि तक सभी बड़े ग्रह अपनी-अपनी राशि में विराजमान रहेंगे. पूर्णिमा पर ग्रहों की ऐसी दुर्लभ स्थिति सालों में एक बार देखने को मिलती है. इस दिन ग्रहों के सेनापति मंगल स्वराशि मेष में रहेंगे. बुध अपनी ही राशि मिथुन में रहेंगे. बृहस्पति अपनी राशि मीन में रहेंगे. इसी तरह शुक्र वृष में और शनि मकर राशि में रहेंगे.

पूर्णिमा पर चार शुभ योग
ज्योतिषविदों का कहना है कि इस बार पूर्णिमा पर चार शुभ योग भी बन रहे हैं. आषाढ़ पूर्णिमा की शुरुआत हंस महापुरुष योग से होने वाली है. इसके अलावा, इस दिन इंद्र, श्रीवत्स और बुधादित्य योग भी बनेगा. सूर्य और बुध जब एक ही राशि में आते हैं तो बुधादित्य योग का निर्माण होता है जो बहुत ही शुभ है.

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आषाढ़ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
आषाढ़ पूर्णिमा 13 जुलाई दिन बुधवार को सुबह 4 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 14 जुलाई को रात 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. उदिया तिथि के कारण अषाढ़ी पूर्णिमा 13 जुलाई को मनाई जाएगी.

पूजन विधि
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. साफ-सुथरे कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने तेल या घी का दीप जलाएं. विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें. भगवान को फल, फूल, मिठाई, धूप, चंदन और रोली अर्पित करें. इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.

 

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