
चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र (Chanakya Niti) में एक श्लोक के माध्यम से लक्ष्मी जी की कृपा के बारे में बताया है. वो कहते हैं कि लक्ष्मी कुछ खास कारणों की वजह से ब्राह्मणों के पास नहीं जाती हैं. आइए जानते हैं चाणक्य नीति (Chanakya Niti In Hindi) में दिए गए उन कारणों के बारे में...
पीत: क्रुद्धेन तातश्चरणतलहतो वल्लभेऽयेन रोषा
आबाल्याद्विप्रवर्यै : स्ववदनविरे धर्यते वैरिणी मे।
गेहं मे छेदयन्ति प्रतिदिवसममाकान्त पूजानिमित्तात्
तस्मात् खिन्ना सदाहं द्विज कुलनिलयं नाथ युक्तं त्यजामि।।
चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि लक्ष्मी जी ने कहा, अगस्त ऋषि ने मेरे पिता यानी समुद्र को पी डाला था. मृगु ने मेरे पति के सीने पर लात मारी थी. सरस्वती से मेरा जन्मजात वैर है.
साथ ही वो कहती हैं कि पूजा के लिए हमेशा कमल के फूल को तोड़ा जाता है, जो कि मेरे लिए घर के समान है. ऐसे में मुझे अनेक प्रकार से ब्राह्मणों ने हानि पहुंचाई है, इसलिए मैं उनके घरों में कभी नहीं जाऊंगी.
दरअसल, भगवान् श्री हरी विष्णु ने मां लक्ष्मी से उनके ब्राह्मणों के प्रति नाराजगी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा, 'मैं ब्राह्मणों के घर में इसलिए नहीं रहती क्योंकि, अगस्त्य ऋषि ने गुस्से में मेरे पिता समुद्र को पी लिया, भृगु ने आपकी छाती पर लात मारी, ब्राह्मण सरस्वती के पुजारी हैं और कमल के फूल भगवान् शिव को अर्पित करते हैं.' यही कारण है कि लक्ष्मी ब्राह्मण लोगों के घर में वास नहीं करती हैं.