
Chanakya Niti, Ethics of Chanakya: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ग्रंथ में जीवन के मूल्यों को लेकर काफी बातें कही हैं. चाणक्य ने चार ऐसी चीजों को बारे में जिक्र किया है, जिसे लेकर वे कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में इन चार चीजों को नहीं किया तो उसका जीवन अर्थहीन है. आइए जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने ऐसा किन चार चीजों को बारे में बताया है.
धर्मार्थकाममोक्षेषु यस्यैकोऽपि न विद्यते ।
जन्मजन्मनि मत्येष मरणं तस्य केवलम् ।।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने अच्छे कर्मों से धर्म का संचय करता है उसका जन्म लेना सफल हो जाता है. चाणक्य के मुताबिक, धर्म की प्राप्ति और उसके मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति को धन अर्जित करना चाहिए और फिर उस धन का उपयोग भी करना चाहिए.
वहीं, आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति के जीवन में कर्म को सर्वोपरि माना गया है. चाणक्य के मुताबिक, व्यक्ति को कर्म करते हुए मोक्ष की प्राप्ति करनी चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अपनी काम इच्छा की पूर्ति अवश्य करनी चाहिए. विवाह करना चाहिए, संतान भी उत्पन्न करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना व्यक्ति को सफल नहीं माना जा सकता है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धन को अर्जित करना और उसका सही तरीके से उपभोग करना एक सफल व्यक्ति के लिए अत्यंत आवश्यक चीज है. चाणक्य कहते हैं कि धन को संचय करने वाला व्यक्ति सार्थकरता को नहीं पा सकता, जिसने धन नहीं कमाया उसका धरती पर जन्म लेना व्यर्थ है.
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में धर्म, काम और धन के साथ मोक्ष की बात भी करते हैं. चाणक्य कहते हैं कि पहले की तीनों बातों का पालन करते हुए व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त करना चाहिए, क्योंकि जो व्यक्ति इनमें से किसी एक से भी वंचित रह जाता है, तो समझिए कि उसके जीवन का कोई अर्थ नहीं है. चाणक्य कहते हैं कि चारों में से कुछ भी न करने वाले व्यक्ति जीवन में सार्थकता को प्राप्त नहीं कर पाते हैं. चाणक्य कहते हैं कि जीवन को सफल बनाने के लिए इन चार चीजों से प्रेम करना चाहिए.
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