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Chanakya Niti: जन्म से होते हैं मनुष्य में ये 4 गुण, अभ्यास से कोई नहीं पा सकता!

चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि मनुष्य में वो कौन से गुण हैं जो उसे जन्म के साथ ही प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में...

Chanakya Niti In Hindi Chanakya Niti In Hindi
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

व्यक्ति के गुण ही उसे सर्वप्रिय बनाते हैं. गुणवान व्यक्ति की सभी तारीफ करते हैं, समाज में लोग उसके करीब रहते हैं. वहीं, अगर व्यक्ति गुणों से रहित हो तो उसका जीवन कठिन हो जाता है. चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बताया है कि मनुष्य में वो कौन से गुण हैं जो उसे जन्म के साथ ही प्राप्त होते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में...

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दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता । 
अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजा गुणाः ॥

दान देने की इच्छा, मधुर भाषण, धैर्य और उचित अथवा अनुचित का ज्ञान, ये चार गुण मनुष्य में सहज-स्वभाव से ही होते हैं. अभ्यास से इन गुणों को प्राप्त नहीं किया जा सकता.

सहज का अर्थ है, साथ में उत्पन्न अर्थात जन्म के साथ. व्यवहार में इसे कहते हैं 'खून में होना'. इन गुणों में विकास किया जा सकता है, लेकिन इन्हें अभ्यास द्वारा पैदा नहीं किया जा सकता.

आज की भाषा में यदि कहें तो ये गुण आनुवंशिक हैं, जींस में हैं. परिवेश इन्हें विकसित कर सकता है बस. वातावरण की मदद से इन्हें थोड़ा-बहुत तराशा जा सकता है. सहज और अभ्यास द्वारा प्राप्त गुणों में अंतर होता है. सहज गुण नष्ट नहीं होते, जबकि अभ्यास द्वारा जिन्हें प्राप्त किया जाता है. अनभ्यास द्वारा वे समाप्त हो जाते हैं.

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हां, ऐसा देखने में आया है कि कभी कभी सहज गुण उचित वातावरण न मिलने के कारण सामने नहीं आ पाते.


 

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