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भारत के महान अर्थशास्त्री व राजनीतिज्ञ माने जाने वाले आचार्य चाणक्य ने अनमोल खजाने के रूप में 'चाणक्य नीति' जैसी किताब दी, जिसमें राज-काज से लेकर जीवन के हर पहलू से जुड़ी सैकड़ों नीतियां बताई हैं. वहीं, चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में पूर्व जन्म के कर्म और उसके फल को लेकर भी दूसरे अध्यान में एक श्लोक का जिक्र किया है-
भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना ।
विभवो दानशक्तिश्च नाल्पस्य तपसः फलम् ॥
आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब नीति शास्त्र के दूसरे अध्याय के इस श्लोक में कहा है कि इंसान को पांच चीजें पिछले जन्म के पुण्यों के आधार पर मिलाती हैं, जिसमें सबसे पहला स्थान उन्होंने भोजन को दिया है. चाणक्य कहते हैं कि वे लोग किस्मत वाले होते हैं जिन्हें अच्छा खाना मिल पाता है. यानी जो खाने की आपकी इच्छा हो वो मिल जाए तो उससे बड़ा सुख क्या होगा.
वहीं, चाणक्य ये भी कहते हैं कि उत्तम खाना मिल जाना ही सुख नहीं, बल्कि भोजन को अच्छे से पचा पाने की शक्ति का होना भी जरूरी है और जिसकी क्षमता सभी में नहीं होती है. चाणक्य कहते हैं कि भोजन पचा पाने की शक्ति उन्हीं लोगों के पास होती है जिन्होंने पूर्व के जन्म में अच्छे कर्म किए होते हैं.
इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने आगे इस श्लोक के माध्यम से सुंदर और गुणवान महिला का भी वर्णन किया है. चाणक्य श्लोक में कहते हैं कि किस्मत वालों को सर्व गुण संपन्न और समझदार पत्नी मिलती है. वर्तमान संदर्भ में गुणवान पत्नी का मिलना पुण्य के फल से कम नहीं है. अपने जीवनसाथी का आदर करने वाले व्यक्ति को ही ऐसी पत्नी मिलती है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अच्छे काम शक्ति वाले इंसान भी भाग्यशाली होते हैं. आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति काम के वश में नहीं होना चाहिए. काम के वश में रहने वाले शख्स का जल्द विनाश हो जाता है.
धन के सही इस्तेमाल की जानकारी का होना भी खुशहाल जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक माना गया है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि धनवान होने से ज्यादा जरूरी धन के इस्तेमाल की जानकारी होना है. यह गुण भी कर्मों के पुण्यों से ही प्राप्त होता है.
दान देने वाला स्वभाव भी बेहद कम लोगों में होता है और यह भी किसी पुण्य के फल से कम नहीं है, क्योंकि धरती पर धनवान लोगों की कमी नहीं है फिर भी भंडार भरा होने के बाद भी व्यक्ति दान के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ा पाता. वहीं, गरीब व्यक्ति भी अपने गुजारे के धन में से जरूरतमंद को मदद कर देता है. चाणक्य के मुताबिक ये गुण भी पूर्वजन्म के कर्मों से मिलता है.
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