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Chanakya niti: गधे से भी इंसान सीख सकता है ये तीन बातें! कदम चूमेगी सफलता

chanakya niti: हर इंसान किसी ना किसी से कोई सीख जरूर लेता है. अश्विनी पाराशर की बुक चाणक्य नीति के मुताबिक, चाणक्य-नीति शास्त्र के छठवें अध्याय में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि लोगों को गधे से कौन सी तीन सीख लेनी चाहिए.

(Image credit: getty images) (Image credit: getty images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य अपने गुणों से राजनीति विशारद, आचार-विचार के कूटनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं. चाणक्य का जन्म का नाम विष्णुगुप्त था और चणक आचार्य के पुत्र होने के कारण वह 'चाणक्य' कहलाए. आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री, गुरू एवं संस्थापक थे. आचार्य चाणक्य मौर्य वंश के राजनीतिक गुरु थे. 2500 ई. पू. आचार्य चाणक्य ने अर्थशास्त्र, लघु चाणक्य, वृद्ध चाणक्य, चाणक्य-नीति शास्त्र लिखा था. आचार्य चाणक्य की कूटनीतियां आज के समय में भी बिल्कुल सटीक बैठती हैं. 

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अश्विनी पाराशर की बुक 'चाणक्य नीति' के मुताबिक, चाणक्य-नीति शास्त्र के छठवें अध्याय में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हर इंसान को गधे से तीन गुण सीखने चाहिए. अगर कोई व्यक्ति इन तीन बातों को अपने जीवन में उतारता है तो वह जीवन में कभी धोखा नहीं खाएगा और उसे सफलता भी मिलेगी.

"सुश्रान्तोऽपि बृहद् भारं शीतोष्णं न पश्यति । सन्तुष्टश्चरतो नित्यं त्रीणि शिक्षेच्च गर्दभात् ॥17॥"

1. आलस्य का त्याग करें

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिस तरह गधा अधिक थका होने पर भी बोझ ढोता रहता है, आलस्य नहीं करता. उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को भी आलस्य न करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सदैव प्रयत्न करते रहना चाहिए. साथ ही साथ कभी भी अपने लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए.

2. बदलते मौसम से ना डरें

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जिस तरह गधा हर मौसम में और हर स्थिति में अपना काम कर लेता है. उसी तरह इंसान को भी मौसम के सर्द और गर्म होने से अंतर नहीं पड़ना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति मौसम के सर्द और गर्म होने से अपने कर्तव्य से विचलित होता है तो वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है.

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3. संतोष के साथ आगे बढ़ें

आचार्य चाणक्य ने कहा है जिस प्रकार गधा संतुष्ट होकर कहीं भी चर लेता है, उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को भी सदा संतोष रखना चाहिए. व्यक्ति के फल की चिंता किए बिना संतोष के साथ काम करना चाहिए और अपने काम में लगे रहना चाहिए. 


(Disclaimer: यह जानकारी अश्विनी पाराशर की बुक चाणक्य नीति के आधार पर दी गई है,)

 

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