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Dev diwali 2021: ​देव दिवाली क्यों मनाई जाती है? 15 लाख दीयों से कल जगमगाएंगे काशी के गंगा घाट

Dev diwali 2021: कार्तिक मास की पूर्णिमा जैसे पावन पर्व के महत्व को तो सभी सनातनी जानते हैं, लेकिन तीनों लोकों से न्यारी काशी में यह पर्व देवताओं की दीपावली के तौर पर यानी देव दिवाली के नाम से मनाने की परंपरा काफी पुरानी है. आखिर कैसे देवताओं के लिए सिर्फ एक दीपक जलाने भर से शुरू हुई ये परंपरा लाखों दीयों की झिलमिलाती रोशनी तक पहुंची? आइये जानते है विश्वविख्यात देव दिवाली के साढ़े तीन दशक पुराने इतिहास और परंपरा के बारे में....

 ​देव दिवाली पर 15 लाख दीयों से जगमगाएंगे काशी के गंगा घाट ​देव दिवाली पर 15 लाख दीयों से जगमगाएंगे काशी के गंगा घाट
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 18 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:38 PM IST
  • एयर बैलून के जरिए शहर के नजारे को आंखों में कैद करेंगे पर्यटक
  • प्रशासन की ओर से देव दीपावली को लेकर की गईं खास व्यवस्थाएं

Dev diwali 2021: काशी की देव दिवाली आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. काशी में 84 गंगा घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा की शाम को सूरज ढलते ही आसमां से टिमटिमाते तारों की तरह लाखों दीये झिलमिलाते नजर आते हैं. इस दृश्य को देखने के लिए देखने और महसूस करने के लिए बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. हालांकि कम ही लोगों को मालूम होगा कि आज से लगभग साढ़े तीन दशक पहले गंगा किनारे ऐसा नजारा नहीं था. सिर्फ कार्तिक मास की पूर्णिमा को चंद दीपक ही जलाए जाते थे, लेकिन इस आस्था को लाखों लोगों से जोड़ते हुए लोक महोत्सव के रूप में बदलने का बीड़ा अगर किसी ने उठाया तो वे थे, वाराणसी के प्राचीन मंगला गौरी मंदिर के महंत और देव दीपावली के संस्थापक पंडित नारायण गुरू.

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1985 से शुरू हुआ प्रयास 
1985 से शुरू किए गए अपने प्रयासों के बारे में जानकारी देते हुए नारायण गुरू ने बताया कि कार्तिक मास में पंचगंगा तीर्थ का अपना स्थान है. प्रात: स्नान और शाम को दीपक जलाया जाता है. इस परंपरा को पहले राजा महाराजा ही किया करते थे, लेकिन फिर यह लुप्त होती गई. जब उन्होंने सिर्फ एक ही पंचगंगा घाट के बगल में दुर्गा घाट पर चंद दीपकों को ही जलते देखा तो यह ख्याल आया कि अन्य घाटों पर क्यों नहीं दीपक जलाया जा सकता है? फिर 1985 में चाय, पान और अन्य दुकानों पर पत्र के जरिये दीपक और पंचगंगा घाट का भी महत्व बताया, जिसके चलते कुल 15 कनस्तर तेल जुटा और 15 हजार दीपक एक घाट से बढ़कर पंचगंगा घाट के आसपास के घाटों पर जलाए जाने लगे. उस वक्त जनता भी गंगा घाटों पर उतर आई. फिर 1986 में केंद्रीय देव दीपावली का गठन किया गया, जिससे सभी बिरादरी के युवक भी जुड़ गए. 

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कार्तिक मास में देवता करते हैं यहां स्नान 
उन्होंने बताया कि खुले मैदान की 7 किलोमीटर की लंबाई पर एक साथ दीपक जला पाना ईश्वर की कृपा से ही संभव हो सका. अब तो वाराणसी प्रशासन और शासन की ओर से भी पिछले 3 वर्षों से दीपक, तेल और बाती भी मदद के तौर पर दी जाती है. उन्होंने आगे बताया कि देव दीपावली की शुरूआत में 5 से8 हजार दीपक जलाए गए थे और अब 11 लाख दीपकों से कम नहीं जलते हैं. देव दीपावली को सफल बनाने के लिए लक्षार्चन यज्ञ भी किया गया.

गाथा के अनुसार, त्रिपुरा नाम के राक्षस का भगवान शंकर ने वध किया फिर देवताओं ने स्वर्ग में देव दीपावली मनाई. वहीं स्थानीय आस्थावानों की भी देव दीपावली और पंचगंगा तीर्थ को लेकर अटूट आस्था है. आस्थावान रौशन गुजराती ने बताया कि पंचगंगा घाट पांच नदियों का संगम है, जिसकी वजह से खुद प्रयागराज तीर्थ भी कार्तिक मास में पंचगंगा तीर्थ पर स्नान करने आते हैं. इसीलिए कार्तिक मास में पंचगंगा घाट का काफी महत्व है. श्रद्धालु विकास यादव ने बताया कि वह पंचनद तीर्थ पर यह पर्व मनाते हैं, चूंकि पूरे कार्तिक मास में देवता यहां स्नान करते हैं और वापस में उनके जाने के समय में पूर्णिमा के दिन देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है. ठीक उसी तरह देवता का स्वागत होता है जैसे घर पर कोई अतिथि आता है.

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अनुराधा पौडवाल बिखेरेंगी आवाज का जादू
वहीं देव दीपावली के दिन काशी के दशाश्वमेध गंगा घाट पर हर बार भव्य गंगा की महाआरती और दीपदान का आयोजन होता है और साथ ही अमर शहीद जवानों के लिए इंडिया गेट की रिप्लिका बनाकर अमर ज्योति जलाई जाती है. इसके बारे में और जानकारी देते हुए गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि इस बार 21 ब्राह्मणों द्वारा मां गंगा की भव्य आरती होगी. 51 देव कन्याएं भी रहेंगी. इंडिया गेट की अनुकृति भी बनाई जा रही है, जहां शहीदों के परिवारजनों को सम्मानित किया जाता है और शहीदों को सलामी भी दी जाती है. इस बार महाआरती की शुरूआत 51 देव कन्याओं के हाथों होगी और सांस्कृतिक कार्यक्रम में भक्ति संगीत गायिका अनुराधा पौडवाल अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगी. उन्होंने आगे बताया कि पिछली बार कोरोना की वजह से जो भव्यता में कमी रह गई थी वह सारी कसर इस बार पूरी कर ली जाएगी. 

हर साल बढ़ता जा रहा स्वरूप 
वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि देव दीपावली का स्वरूप हर साल बढ़ता रहता है. इस वर्ष भी पिछले वर्ष की तुलना में और वृहद रूप से और सुव्यवस्थित रूप से देव दीपावली का पर्व मनाने का निर्णय शासन द्वारा किया गया है. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण लेजर शो चेत सिंह घाट पर होगा और उसके अलावा लेजरयुक्त इलेक्ट्रिकल आतिशबाजी अस्सी घाट के ऑपोजिट साइड वाले घाट पर की जाएगी. इसके साथ ही मुख्य आकर्षण पर हॉट एयर बैलून होंगे. पर्यटक एयर बैलून के जरिए शहर के नजारे को आंखों में कैद करेंगे.

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प्रशासन की ओर से 12 लाख दीये 
कमिश्नर ने बताया कि इस बार पिछली बार से अधिक करीब 12 लाख दिए प्रशासनिक सहयोग से जलाए जाएंगे. करीब 15 लाख से ज्यादा दिए से इस बार देव दीपावली पर गंगा के घाट जगमग होगें. देव दीपावली में पारंपरिक गंगा महोत्सव का भी कार्यक्रम होता है जो 17, 18 और 19 नवंबर को होगा. इसमें भी देश के विख्यात कलाकार अपनी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने बताया कि सुरक्षा के साथ साफ-सफाई और शहर में सात सज्जा के सारे विस्तृत प्रबंध कर लिए गए हैं. इस बार का देव दीपावली एक विशेष दीपावली होगी और जो भी यहां पर देश-विदेश से पर्यटक आएंगे वह काशी की एक अलग पहचान लेकर जाएंगे और आने वाले समय में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या जो लगातार बढ़ती रहती है उसमें और बढ़ोत्तरी होगी.

 

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