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Diwali 2022: कौन थीं भगवान राम की बहन, जानें क्यों रामायण में नहीं हुआ उनका जिक्र?

Diwali 2022: रामायण में राजा दशरथ के चार पुत्रों का जिक्र मिलता है- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न. बहुत कम लोगों को ये जानकारी है कि भगवान राम की एक बहन भी थी, जिसका रामायण में कहीं कोई जिक्र नहीं है. आइए आज आपको बताते हैं कि भगवान राम की बहन कौन थी और रामायण में उनका कहीं जिक्र क्यों नहीं है.

कौन थी भगवान राम की बहन, किसके साथ हुआ था उनका विवाह? कौन थी भगवान राम की बहन, किसके साथ हुआ था उनका विवाह?
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:39 PM IST

भगवान राम जब 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो इस खुशी में अयोध्या वासियों ने पूरी नगरी को दीपों से सजाया था. कहते हैं कि तभी से दीपों का त्योहार दिवाली मनाया जा रहा है. रामायण में राजा दशरथ के चार पुत्रों का जिक्र मिलता है- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न. बहुत कम लोगों को ये जानकारी है कि भगवान राम की एक बहन भी थी, जिसका वाल्मीकि की रामायण में कहीं कोई जिक्र नहीं है. आइए आज आपको बताते हैं कि भगवान राम की बहन कौन थीं.

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दक्षिण भारत की रामायण के मुताबिक, प्रभु श्रीराम की बहन का नाम शांता था. शांता राजा दशरथ और कौशल्या की सबसे बड़ी बेटी थीं. शांता बचपन से ही सर्वगुण संपन्न थी. वह वेद और शिल्पकला निपुण थी. हालांकि राजा दशरथ ने बचपन में ही शांता को अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे दिया था. दरअसल राजा रोमपद की बहन वर्षिणी कौशल्या की बहन और शांता की मौसी थीं.

राजा दशरथ ने शांता को क्यों दिया गोद
एक बार राजा रोमपद और उनकी पत्नी वर्षिणी राजा दशरथ और कौशल्या से मिलने अयोध्या गए. राजा रोमपद और वर्षिणी की कोई औलाद नहीं थी, इसलिए उन्होंने राजा दशरथ और उनकी पत्नी से शांता को गोद लेने की बात कही. चूंकि एक कन्या होने के कारण शांता रघुकुल का सिंहासन नहीं संभाल सकती थीं, इसलिए राजा दशरथ शांता को गोद देने के लिए राजी हो गए. जबकि कौशल्या अपनी बहन को दहलीज से निराश नहीं भेजना चाहती थीं, इसलिए वो भी शांता को गोद देने के लिए तैयार हो गईं. और इस तरह शांता अंगदेश की राजकुमारी बनीं.

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किसके साथ हुआ शांता का विवाह?
एक बार राजा रोमपद शांता के साथ बातचीत में व्यस्त थे. तभी उनके द्वार पर एक गरीब ब्राह्मण आया और उसने बरसात में खेत से जुड़ी समस्या को उनके सामने रखा. हालांकि राजा रोमपद ने उसकी बात पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया. परेशान ब्राह्मण क्रोधित होकर राज्य से चला गया. लेकिन इंद्र देव गरीब ब्राह्मण के इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनके प्रकोप से अंगदेश में सूखा पड़ गया.

इस घटना से राजा रोमपद बहुत परेशान थे. राजा रोमपद ऋषि ऋृंग के पास गए और उनसे सूखाग्रस्त धरती को फिर से हरा-भरा बनाने का उपाय पूछा. ऋषि ऋृंग का बताया अंगदेश एक बार फिर हरा-भरा हो गया. ऋषि ऋंग का उपाय काम कर गया और अंगदेश की बंजर जमीन एक बार फिर हरी-भरी हो गई. इससे प्रसन्न होकर राजा रोमपद ने अपनी गोद ली हुई पुत्री शांता का विवाह ऋषि ऋृंग के साथ कर दिया.

रामायण में क्यों नहीं हुआ शांता का जिक्र?
रामायण में राजा दशरथ के चार पुत्रों का ही जिक्र मिलता है. कहीं भी उनकी बेटी शांता का जिक्र नहीं है. ऐसा कहते हैं कि शांता कन्या होने की वजह से रघुकुल का सिंहासन संभालने के योग्य नहीं थीं. दूसरा, कौशल्य की बहन वर्षिणी की गोद सूनी थी. इसलिए राजा दशरथ और कौशल्या ने अपनी बेटी शांता को उन्हें गोद दे दिया था. रामायण में शांता का जिक्र इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि वह बचपन में ही अयोध्या छोड़कर अंगदेश चली गई थीं.

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