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Dussehra 2022: दशहरे पर पूजन का शुभ मुहूर्त! इस समय जलाएं रावण, राहु काल में भूलकर भी ना करें ये काम

Dussehra 2022 Date: दशहरा का पावन पर्व हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष 5 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा. विजयादशमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त, अशुभ मुहूर्त और विजय मुहूर्त कब है? इस बारे में जानेंगे.

(Image credit: Getty images) (Image credit: Getty images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:01 AM IST

Dussehra 2022: दशहरा को विजयदशमी, आयुधपूजा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा का यह पावन पर्व हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. देशभर में आज यानी 5 अक्टूबर, बुधवार को दशहरा मनाया जा रहा है. कल में देशभर शस्त्र पूजन की जाएगी और रावण दहन भी किया जाएगा. विजयादशमी पर पूजन और रावण दहन शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. आज के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है? इस बारे में जान लीजिए. 

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पूजन और रावण दहन का शुभ मुहूर्त

ज्योतिर्विदों के मुताबिक, दशमी तिथि 4 अक्टूबर को दोपहर 2. 20 मिनिट पर शुरू होगी जो 5 अक्टूबर दोपहर 12 बजे तक रहेगी. विजयदशमी पूजन का शुभ मुहूर्त प्रात: 7.44 से प्रात: 9.13 तक और इसके बाद प्रात: 10.41 से दोपहर 2.09 बजे तक रहेगा. वहीं दशहरे पर विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शुरू होगा जो कि 02 बजकर 54 मिनट पर खत्म हो जाएगा यानी कुल 47 मिनिट का समय मिलेगा. 

इन मुहूर्त में ना करें कोई शुभ काम

दशहरे के दिन राहू काल, यमगण्ड, गुलिक काल और दुर्मुहूर्त भी होते हैं जिसमें कोई भी शुभ काम करने से बचना चाहिए. इसलिए नीचे बताए समय में शुभ काम करे से बचें.

राहुकाल- 12:09 PM से 01:38 PM
यमगण्ड- 07:44 AM से 09:13 PM
गुलिक काल- 10:41 AM से 12:09 PM
दुर्मुहूर्त- 11:46 AM से 12:33 PM 

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दशहरा का महत्व (Dussehra 2022 importance)

रावण के माता सीता का अपहरण करने के बाद रावण और प्रभु श्रीराम के बीच यह युद्ध दस दिनों तक चलता रहा. अंत में आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को भगवान राम ने मां दुर्गा से प्राप्त दिव्यास्त्र की मदद से अहंकारी रावण का अंत कर दिया. रावण की मृत्यु को असत्य पर सत्य और न्याय की जीत के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. प्रभु राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी इसलिए यह दिन विजया दशमी कहलाया. 

इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध भी किया था. महिषासुर नामक इस दैत्य ने तीनों लोक में उत्पात मचाया था. देवता भी जब इस दैत्य से परेशान हो गए थे. देवताओं को और पूरी दुनिया को महिषासुर से मुक्ति दिलाने के लिए देवी ने आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को महिषासुर का अंत किया था. देवी की विजय से प्रसन्न होकर देवताओं ने विजया देवी की पूजा की और तभी से यह दिन विजया दशमी कहलाया. साथ ही इस दिन अस्त्रों की पूजा भी की जाती है. भारतीय सेना भी इस दिन शस्त्रों की पूजा करती है.  

 

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