
रमजान का महीना पूरा होने के बाद जब शव्वाल महीने की पहली तारीख शुरू होती है तो उस दिन ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है. भारत में आज यानी गुरुवार 11 अप्रैल को ईद का त्योहार मनाया जा रहा है. ईद का त्योहार समाज में एकता, सद्भावना और धार्मिकता के महत्व को बढ़ावा देता है. इसके माध्यम से मानवता के मूल्यों की प्रतिष्ठा की जाती है और सभी के बीच एक अद्वितीय बंधन का उत्सव मनाया जाता है.
रमजान का महीना गुजरने के बाद ईद के दिन बेहद खुशनुमा माहौल देखने को मिलता है. ईद पर सबसे पहले ईदगाह जाकर नमाज अदा की जाती है जिसके बाद एक दूसरे से मुलाकात की शुरुआत हो जाती है. लोग एक दूसरे के घर जाकर खीर, सेवईं या शीर खुरमा खाकर मुंह मीठा करते हैं और ईद की बधाई देते हैं. ईद के त्योहार पर लगभग सभी लोग नए कपड़ों में नजर आते हैं और सुन्नत के लिए कपड़ों पर इत्र भी लगाया जाता है.
ईद की नमाज ईदगाह पर क्यों पढ़ी जाती है?
कई जगहों पर ईद की नमाज मस्जिदों में भी पढ़ी जाती है लेकिन तरीका तो यही है कि नमाज हमेशा ईदगाह पर ही पढ़ी जानी चाहिए. ईदगाह पर नमाज पढ़ना ही अच्छा माना जाता है. इस्लाम से जुड़े लोगों का मानना है कि पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब से पहले ईदगाह पर जाकर नमाज पढ़ने का चलन नहीं था. उनके समय से ही ईदगाह पर नमाज पढ़ने की शुरुआत हुई.
इस्लामिक जानकारों का कहना है कि ईदगाह पर नमाज अदा करने से न सिर्फ इस्लामिक कल्चर बना रहता है, साथ ही अलग-अलग इलाकों के लोग एक जगह पर नमाज अदा करते हैं तो इससे भाईचारा और सौहार्द भी बढ़ता है. ईद की नमाज में गरीब हो या अमीर, हर कोई गले लगकर ही एक दूसरे को मुबारकबाद देता है. इसके साथ ही नमाज के बाद पूरे विश्व की शांति के लिए दुआ की जाती है.
बद्र की जंग जीतकर जब पैगंबर मुहम्मद मक्का से मदीना पहुंचे थे तो मीठा खाकर लोगों ने जीत का जश्न मनाया था. यही वजह है कि त्योहार को मीठी ईद भी कहा जाता है. ईद के मौके पर खानपान से लेकर कपड़ों तक, काफी ख्याल रखा जाता है. हालांकि, यह कहीं नहीं लिखा है कि ईद पर नए कपड़े पहनने चाहिए. हां लेकिन आपके कपड़े साफ जरूर होने चाहिए. इसके साथ ही इत्र लगाना भी आपकी मर्जी है, अगर आप नहीं लगाते हैं तो कोई जरूरी नहीं है. इत्र लगाना सुन्नत है इसलिए अच्छा माना जाता है.