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Guru Tegh Bahadur Prakash Parv 2022: कैसे त्यागमल बने गुरु तेग बहादुर सिंह? जानें उनसे जुड़ी खास बातें

Guru Tegh Bahadur Prakash Parv: आज सिख धर्म के 9वें गुरु तेग बहादुर का 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है. सिख समुदाय के लोग आज का दिन बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं. गुरु तेग बहादुर ने संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. उनके दिए विचार और शिक्षाएं अमूल्य धरोहर हैं और जीवन जीने की सही राह दिखाती हैं.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 11:13 AM IST
  • गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व
  • धर्म की रक्षा के लिए दी जान
  • जानें गुरु तेग बहादुर से जुड़ी खास बातें

Guru Tegh Bahadur Prakash Parv: आज गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व मनाया जा रहा है.  सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर ने धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों और सिद्धांत की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राण की आहुति दे दी थी. सिख धर्म में उनके बलिदान को बड़ी ही श्रद्धा से याद किया जाता है. गुरु तेग बहादुर सिंह का जन्म बैसाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. गुरु तेग बहादुर की इस जयंती पर उनके बारे में कुछ खास बातें जानते हैं.

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बचपन में त्यागमल था नाम- गुरु तेग बहादुर सिंह का बचपन का नाम त्यागमल बताया जाता है. उन्होंने मात्र 14 साल की उम्र में अपने पिता के साथ के मिलकर मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी. 24 नवंबर 1675 को भीड़ के सामने उनकी हत्या कर दी गई. उनके पिता ने उन्हें त्यागमल नाम दिया था, लेकिन मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वे तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गए. तेग बहादुर का मतलब होता है तलवार का धनी.

औरंगजेब ने कराई हत्या- गुरु तेग बहादुर कश्मीर में हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाने के सख्त विरोधी थे. उन्होंने खुद भी इस्लाम कबूलने से मना कर दिया था. यही वजह है कि औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश दिया था. दिल्ली का मशहूर गुरुद्वारा शीश गंज साहिब जहां है, उसी स्थान पर उनकी शहादत हुई और उनकी अंतिम विदाई भी यहीं से हुई थी. 

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गुरु जी के प्रेरणादायक विचार- गुरु तेग बहादुर गुरुबाणी, धर्म ग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों और घुड़सवारी में भी प्रवीण थे. उन्होंने 115 शबद भी लिखे, जो अब पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा हैं. गुरु जी ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. गुरु जी का मानना था कि हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया का भाव रखना चाहिए क्योंकि घृणा से विनाश होता है. वो कहते थे कि सारे महान कार्य छोटे-छोटे कार्यों से बने होते हैं. उनके ऐसे प्रेरणादायक विचार आज भी लोगों को जीने की सही राह दिखाते हैं.

 


 

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