
कोरोना महामारी में पाबंदी के बाद सऊदी सरकार ने इस साल विदेशी लोगों को हज यात्रा की परमिशन दी है. दुनियाभर से हज यात्री सऊदी पहुंचने शुरू हो गए हैं. भारत से भी फ्लाइट्स उड़ने लगी हैं. दिल्ली से आज पहला जत्था रवाना हो गया है, लखनऊ से भी पहली फ्लाइट आज ही जा रही है. इस साल भारत से कुल 79 हजार 237 हज यात्री जा रहे हैं और इनमें 50 फीसदी संख्या महिलाओं की है. इस बार हज यात्रा पिछली बार की तुलना में महंगी है.
हज यात्रा पर कितना खर्च
केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी रविवार को दिल्ली स्टेट हज कमेटी द्वारा बनाए गए कैम्पों में पहुंचे. हज कमेटी के चेयरमैन मुख्तार अहमद के साथ नकवी ने हज यात्रा पर जाने वाले लोगों का हाल जाना. इस दौरान नकवी और मुख्तार अहमद ने जहां हज यात्रिओं को शुभकामनाएं दीं, वहीं नकवी ने हज यात्रा के खर्च पर भी बात की. यहां नकवी ने महिला हज यात्रियों से विशेषकर मुलाकात की और बताया कि इस बार हज यात्रा पर 50 फीसदी महिलाएं जा रही हैं.
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हज यात्रा की सब्सिडी के नाम पर दशकों से राजनीतिक छल किया जा रहा था, जिसे अब खत्म कर दिया गया है. नकवी ने कहा कि हज यात्रा को मोदी सरकार में बहुत ही ट्रांसपेरेंट बनाया गया है और सब्सिडी खत्म होने के बावजूद यात्रियों पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं पड़ रहा है. हालांकि, यात्रा पर ज्यादा खर्च आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बार सऊदी अरब सरकार ने कुछ टैक्स बढ़ाए हैं, फिर भी हमने कोशिश की है कि हज यात्रा कम से कम रेट में कराई जाए.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 2018 में हज सब्सिडी खत्म कर दी थी.
आखिरी बार 2019 में भारत से हज यात्री गए थे. उस वक्त अजीजिया कैटेगरी के लिए 2.36 लाख रुपये और ग्रीन कैटेगरी के लिए एक यात्री को 2.82 लाख रुपये तक खर्च करने पड़े थे. लेकिन 2022 की मौजूदा यात्रा के लिए भारतीयों को 3.35 लाख से लेकर 4.07 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. ये रेट उन यात्रियों के लिए हैं जो सरकार की तरफ से भेजे जा रहे हैं. जबकि प्राइवेट ऑपरेटर्स की बात की जाए तो एक हज यात्री को 6 लाख रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं.
क्यों बढ़ गए हज यात्रा के रेट?
कोरोना ने पूरी दुनिया के सामने आर्थिक चुनौती पेश की हैं. सऊदी पर भी इसका असर पड़ा है, जिसके चलते वहां भी कई किस्म के नए बदलाव किए गए हैं. सऊदी में होटल्स पर टैक्स बढ़ाया गया है, साथ ही अब वहां वैट भी लगाया जाने लगा है जो करीब 15 फीसदी है. इसके अलावा फ्लाइट टिकट रेट भी पहले की तुलना में काफी महंगे हुए हैं. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वीजा के रेट भी 2019 की तुलना में चार गुना तक बढ़ गए हैं. इन तमाम कारणों के चलते भी इस बार हज यात्रा पर ज्यादा खर्च आ रहा है.
दिल्ली से 20 फ्लाइट्स
सऊदी अरब सरकार ने इस साल भारत के लिए 79,237 हज यात्रियों का कोटा तय किया है. इनमें से 56,601 सीटें हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCOI) के लिए हैं, जबकि बाकी 22,636 सीटें प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के लिए हैं. हज कमेटी ऑफ इंडिया राज्यों के हिसाब से ये तय करती है कि कहां से कितने हज यात्री जा सकते हैं. अहमदाबाद, बेंगलुरु, कोच्चि, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और श्रीनगर ऐसे 10 प्वाइंट हैं, जहां से हज यात्रियों के लिए फ्लाइट्स रवाना होती हैं.
दिल्ली से कुल 20 फ्लाइट्स रवाना होंगी, जिनमें 8,256 यात्रियों का जाना प्रस्तावित है. दिल्ली से पहली फ्लाइन सोमवार (6 जून) को रवाना हो रही है. बता दें कि दिल्ली से सिर्फ इसी राज्य के हज यात्री नहीं जाते हैं, बल्कि उत्तर भारत के 9 राज्यों के लोग यहां से यात्रा पर रवाना होते हैं. इनमें यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल है. इन राज्यों से हज यात्री दिल्ली आते हैं, जहां स्टेट हज कमेटी उनके रहने-खान का प्रबंध करती है. यूपी से इस साल 7500 हज यात्री जा रहे हैं.