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Holi 2023: किसने खेली थी संसार की पहली होली? भक्त प्रह्लाद से नहीं जुड़ी है ये कहानी

Holi 2023: जब भी रंगों के त्योहार होली के धार्मिक महत्व की बात आती है तो सबसे पहले मन में भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका का जिक्र किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार से जुड़ी और भी कई पौराणिक कथाएं भी हैं. ये कहानी है भगवान शिव के चमत्कार और कामदेव की पत्नी रति के विलाप की.

Holi 2023: किसने खेली थी संसार की पहली होली? भक्त प्रह्लाद से नहीं जुड़ी है ये कहानी (Photo: Getty Images) Holi 2023: किसने खेली थी संसार की पहली होली? भक्त प्रह्लाद से नहीं जुड़ी है ये कहानी (Photo: Getty Images)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 4:50 PM IST

Holi 2023: होली का त्योहार फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस वर्ष 7 मार्च को होलिका दहन होगा और 8 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी. जब भी रंगों के त्योहार होली के धार्मिक महत्व की बात आती है तो सबसे पहले मन में भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका का जिक्र किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार से जुड़ी और भी कई पौराणिक कथाएं हैं. आज हम आपको देवलोक पर खेली गई पहली होली के बारे में बताते हैं.

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संसार की पहली होली

होली के त्योहार की पौराणिकता भगवान शंकर और भगवान विष्णु दोनों से जुड़ी है. हरिहर पुराण की कथा कहती है कि संसार की पहली होली देवाधिदेव महादेव ने खेली थी जिसमें प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति थीं. यह कहानी कहती है कि जब भगवान शंकर कैलाश पर अपनी समाधि में लीन थे तब तारकासुर के वध के लिए कामदेव और रति ने शिव को ध्यान से जगाने के लिए नृत्य किया था.

रति और कामदेव के नृत्य से भगवान शिव की समाधि भंग हुई तो भगवान शंकर ने अपनी क्रोध की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया. रति ने प्रायश्चित में विलाप किया तो अति दयालु भगवान शंकर ने कामदेव को पुन: जीवित कर दिया. इससे प्रसन्न होकर रति और कामदेव ने ब्रजमंडल में ब्रह्म भोज का आयोजन किया जिसमें सभी देवी देवताओं ने हिस्सेदारी की. रति ने चंदन की टीका लगाकर खुशी मनाई थी. कहते हैं कि ये फाल्गुन पूर्णिका का दिन था.

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हरिहर पुराण के अनुसार, ब्रह्म भोज में आनंद के मारे भगवान शंकर ने डमरू तो भगवान विष्णु ने बांसुरी बजाई थी. माता पार्वती ने वीणा पर स्वर लहरियां छेड़ीं तो माता सरस्वती ने बसंत के रागों में गीत गाए. कहते हैं कि तभी से धरती पर हर साल फाल्गुन पूर्णिमा में गीत, संगीत और रंगों के साथ होली का आनंदोत्सव मनाया जाने लगा.

क्या है होली का विधान और कैसे खेली जाती है?

रंग या अबीर के खेलने के पूर्व उसको भगवान को जरूर समर्पित कर देना चाहिए. अपनी-अपनी इच्छाओं के अनुसार, अगर ऐसा कर सकें तो सर्वोत्तम होगा. होलिका दहन से लाए गई राख (भस्म) से शिवलिंग का अभिषेक करना भी शुभ फल प्रदान करता है. इसके बाद आप किसी भी पसंदीदा रंग के साथ होली खेल सकते हैं. इससे लोगों के बीच प्रेम, स्नेह बढ़ता है.

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