
ज्येष्ठ हिन्दू कैलेंडर का तीसरा महीना होता है. इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवर होता है, इसलिए गर्मी भी भयंकर होती है. सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. ज्येष्ठा नक्षत्र के कारण भी इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है. इस बार ज्येष्ठ मास 17 मई से 14 जून तक रहेगा.
ज्येष्ठ मास का वैज्ञानिक महत्व
ज्येष्ठ में वातावरण और जल का स्तर गिरने लगता है, इसलिए जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए. हीटस्ट्रोक और खान-पान की बीमारियों से बचाव आवश्यक है. इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक होता है. इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक है.
वरुण देव और सूर्य की कृपा
इस महीने रोज सुबह और संभव हो तो शाम को भी पौधों में जल दें. प्यासों को पानी पिलाएं. लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करें. जल की बर्बादी न करें. घड़े सहित जल और पंखों का दान करें. रोज सुबह और शाम सूर्य मंत्र का जाप करें. अगर सूर्य संबंधी समस्या है तो ज्येष्ठ के हर रविवार को उपवास रखें.
ज्येष्ठ के मंगलवार की महिमा
ज्येष्ठ के मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन हनुमान जी को तुलसी दल की माला अर्पित की जाती है. साथ ही हलवा पूरी या मीठी चीजों का भोग भी लगाया जाता है. इसके बाद उनकी स्तुति करें. निर्धनों में हलवा पूरी और जल का वितरण करें. ऐसा करने से मंगल सम्बन्धी हर समस्या का निदान हो जाएगा.