
कुम्भ मेला 2021 (Kumbh mela 2021) अगले साल तय समय पर भव्य रूप से आयोजित किया जाएगा. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि सभी अखाड़ों के सन्त-महात्माओं के सहयोग और आशीर्वाद से मेले का आयोजन सफल होगा. कुम्भ मेले के आयोजन को लेकर मुख्यमंत्री रावत ने शनिवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं महामंत्री और अन्य पदाधिकारियों के साथ चर्चा की. इस मौके पर नगर विकास मंत्री मदन कौशिक, मुख्य सचिव ओम प्रकाश, पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार के साथ कई बड़े पदाधिकारी मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री ने कुम्भ मेले का निर्माण कार्य 15 दिसंबर से पहले पूरा करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं. मुख्यमंत्री ने नील धारा सहित अन्य क्षेत्रों में निर्मित होने वाले स्नान घाटों के नाम 13 अखाड़ों के ईष्ट देवों के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव रखा. 2010 कुम्भ मेले की तरह इस बार भी उतने ही क्षेत्रफल में कुम्भ मेले के आयोजन पर भी चर्चा हुई. इसके अलावा मंशा देवी हिल बाई पास सड़क को मेले के दौरान प्रयोग में लाए जाने और आंतरिक सड़कों के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए गए.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष भी सभी अखाड़ों के सहयोग से छड़ी यात्रा आयोजित की जाएगी. धर्मस्व एवं संस्कृति विभाग इसका नोडल विभाग होगा. उन्होंने कहा कि कुम्भ मेले को भव्य और दिव्य रूप से आयोजित किए जाने के लिए लगातार बैठकें की जाती रही हैं. कोविड-19 के कारण पैदा हुई समस्याओं का इस वक्त कोई समाधान नहीं है. पूरा विश्व इस संकट का सामना कर रहा है. इससे सभी स्तरों पर कार्यों की गति में अवरोध पैदा हुआ है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में देश काल व परिस्थिति के अनुसार भी निर्णय लिया जाएगा. आगे स्थितियां कैसी होंगी, इसका पूर्वानुमान लगाया जाना कठिन है.
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सभी संत-महात्माओं को उनकी अगुवाई में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के लिए भी बधाई दी. उन्होंने कहा कि इसके लिए हमारे संत महात्माओं ने भी अपना बलिदान दिया. आखिर वह शुभ दिन आया जब प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीराम के भव्य मन्दिर का शिलान्यास किया. इस दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने उज्जैन व प्रयागराज कुम्भ की तरह अखाड़ों को धनराशि व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की बात रखी.