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Lohri 2022: लोहड़ी पर क्यों सुनी जाती है दुल्ला-भट्टी की कहानी, जानें महत्व

Lohri 2022: लोहड़ी पारंपरिक तौर पर फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा विशेष त्योहार है. इस पर्व को पंजाब और हरियाणा में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस दिन दुल्ला भट्टी की कहानी क्यों सुनी जाती है.

Lohri 2022 Lohri 2022
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST
  • नई फसल की पूजा करने की है परंपरा
  • नवविवाहित जोड़े के लिए लोहड़ी का विशेष महत्व

Lohri 2022: लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा विशेष त्योहार है. इस दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं. साथ ही दुल्ला-भट्टी की कहानी भी सुनी जाती है. इस बार ये पर्व 13 जनवरी को मनाया जा रहा है. 

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क्यों मनाई जाती है लोहड़ी?
लोहड़ी के त्योहार का संबंध फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा है. इस दिन पंजाब और हरियाणा में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है. वहीं रात के समय लोहड़ी जलाई जाती है. पुरुष लोहड़ी की आग के पास भांगड़ा करते हैं, वहीं महिलाएं गिद्दा करती हैं. सभी रिश्तेदार एक साथ मिलकर डांस करते हुए बहुत धूम-धाम से लोहड़ी का जश्न मनाते हैं. 

लोहड़ी पर सुनते हैं दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी की आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी. तब से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है.

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नवविवाहित जोड़े के लिए लोहड़ी का विशेष महत्व
यह त्योहार नवविवाहित जोड़े और परिवार में जन्मे पहले बच्चे के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन नई दुल्हन को उसकी ससुराल की तरफ से तोहफे दिए जाते हैं, तो वहीं नए शिशु को उपहार देकर परिवार में उसका स्वागत किया जाता है.  

 

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