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Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या पर होगा महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान, जानें स्नान-दान का मुहूर्त

Mahakumbh 2025: महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन होगा. सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या बहुत ही खास मानी जाती है. मौनी अमावस्या को माघी और माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मौन व्रत का पालन किया जाता है. 

मौनी अमावस्या पर होगा महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या पर होगा महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:54 PM IST

Mahakumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से चुकी है और हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ में स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. इस बार महाकुंभ 144 साल बाद लगा है. वहीं, कुंभ में शाही स्नान का विशेष महत्व है. इस बार महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन होगा. सभी अमावस्याओं में मौनी अमावस्या बहुत ही खास मानी जाती है. मौनी अमावस्या को माघी और माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मौन व्रत का पालन किया जाता है. 

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कब है महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान?

महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी को है और इस दिन का शाही स्नान बहुत ही खास माना जा रहा है. क्योंकि, इस दिन कई सारे दुर्लभ संयोग बनने जा रहे हैं. दरअसल, इस दिन चंद्रमा, सूर्य और बुध मकर राशि में त्रिवेणी संयोग बनाएंगे. 

शाही स्नान का मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक 

प्रातः सन्ध्या- 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक 

कब है मौनी अमावस्या?

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा. 

क्यों खास होती है मौनी अमावस्या? (Mauni Amavasya Significance) 

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हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इससे तर्पण करने वालों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन नदी के घाट पर जाकर पितरों का तर्पण और दान करने से कुंडली के दोषों से मुक्ति पाई जाती है. इसके अलावा, इस दिन मौन व्रत रखने से वाक् सिद्धि की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत का विशेष महत्व होता है. मौन व्रत का अर्थ खुद के अंतर्मन में झांकना, ध्यान करना और भगवान की भक्ति में खो जाने से है.

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