
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास की नवमी तिथि को महेश नवमी मनाई जाती है. भगवान शिव का एक नाम महेश भी है और इस दिन शिवजी और माता पार्वती की विधिवत पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यताएं हैं कि भगवान शिव के आशीर्वाद से इसी दिन माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी और तभी से इस समाज के लोग धूमधाम से महेश नवमी मनाते हैं. महेश नवमी इस साल गुरुवार, 9 जून को मनाई जाएगी.
महेश नवमी की पूजा विधि
महेश नवमी के दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा की जाती है. सवेरे-सवेरे स्नान करने के बाद भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है. इस दौरान भगवान शिव को गंगाजल, धतूरा, पुष्प और बेल पत्र अर्पित किया जाता है. भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने से बड़ा लाभ मिलता है.
महेश नवमी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माहेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रीय वंश के थे. एक बार जब वे शिकार पर निकले तो ऋषिमुनियों ने उन्हें श्राप दे दिया. तब भगवान शिव ने ही उन्हें श्राप से मुक्त कराया. इसके बाद माहेश्वरी समाज ने हिंसा का रास्ता त्यागकर अहिंसा का मार्ग अपनाया था. यही कारण है कि इस समुदाय के लोग हर साल धूमधाम से महेश नवमी मनाते हैं.
महेश नवमी पर करें शिव के 8 खास मंत्रों का जाप
1 ॐ नमः शिवाय।
2 नमो नीलकण्ठाय।
3 ॐ पार्वतीपतये नमः।
4 ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5 ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
6 ऊर्ध्व भू फट्।
7 इं क्षं मं औं अं।
8 प्रौं ह्रीं ठः।