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Mauni Amavasya 2023 Date: इस साल मौनी अमावस्या बेहद खास, 30 साल बाद बन रहा खप्पर योग

Mauni Amavasya 2023 Date: ज्योतिषविदों का कहना है कि मौनी अमावस्या पर 30 साल बाद खप्पर योग बन रहा है. यह योग धार्मिक कार्यों को संपन्न करने और कुंडली में शनि के शुभ प्रभाव के लिए किए जाने वाले उपायों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है.

मौनी अमावस्या पर पूरे 30 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग मौनी अमावस्या पर पूरे 30 साल बाद बन रहा ये अद्भुत संयोग
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:53 PM IST

Mauni Amavasya 2023 Date: कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को मौनी अमावस्या मनाई जाती है. मौनी अमावस्या को स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं कि मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाने से इंसान के सारे पाप मिट जाते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इस साल मौनी अमावस्या 21 जनवरी दिन शनिवार को मनाई जाएगी. इस बार मौनी अमावस्या बेहद खास रहने वाली है. मौनी अमावस्या पर पूरे 30 साल बाद एक विशिष्ट योग बन रहा है.

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मौनी अमावस्या पर 30 साल बाद खप्पर योग
ज्योतिषविदों का कहना है कि मौनी अमावस्या पर 30 साल बाद खप्पर योग बन रहा है. यह योग धार्मिक कार्यों को संपन्न करने और कुंडली में शनि के शुभ प्रभाव के लिए किए जाने वाले उपायों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है. शनि हर ढाई साल में राशि परिवर्तन करता है. इस ढाई वर्ष की अवधि में शनि कभी मार्गी तो कभी वक्री अवस्था में चलता है. इस बार शनि ने मौनी अमावस्या से ठीक चार दिन पहले राशि परिवर्तन किया है.

इस वक्त शनि कुंभ राशि में विराजमान हैं और इसी वजह से मौनी अमावस्या एक अद्भुत और दुर्लभ संयोग में पड़ रही है. ज्योतिष गणना के अनुसार, इस वक्त मकर राशि में सूर्य और शुक्र की युति है. साथ ही त्रिकोण की स्थिति खप्पर योग का निर्माण कर रही है. जब भी इस प्रकार की युति बनती है तो अलग-अलग तरह के योग-संयोग बनते हैं. शनि की 30 साल बाद घर वापसी हुई है. इस लिहाज से शनि के मूल त्रिकोण राशि में रहते हुए मौनी अमावस्या का महापर्व पूरे 30 साल बाद मनाया जा रहा है.

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मौनी अमावस्या की पूजन विधि
मौनी अमावस्या के दिन सवेरे-सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें. इसके बाद पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लें. अगर आपके लिए ऐसा करना संभव न हो तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान करते हुए 'गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु' मंत्र का जाप करें. इसके बाद श्रीहरि भगवान विष्णु का ध्यान करें और मौन व्रत का संकल्प लें.

मौनी अमावस्या पर व्रत के नियम
मौनी अमवस्या का व्रत रखने वाले साधक जहां तक संभव हो मौन रहें. मौन व्रत के दौरान मन में उपरोक्त मंत्र का जप करते रहें. इस दिन तुलसी के पौधे की 108 बार परिक्रमा करें. पूजा-पाठ के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को धन, भोजन और वस्त्रों का दान करें. इस दिन गरीब और भूखे लोगों को भोजन अवश्य कराएं. आप अनाज, वस्त्र, तिल, कंबल और घी का दान कर सकते हैं. मौनी अमावस्या के व्रत में गौ दान, स्वर्ण दान या भूमि दान बहुत उत्तम माना जाता है. कहते हैं कि माघ अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

 

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