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Mokshada Ekadashi 2022: आज है मोक्षदा एकादशी, इस विधि से करें माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन

Mokshada Ekadashi 2022: 03 दिसंबर 2022 यानी आज के दिन मोक्षदा एकादशी मनाई जा रही है. इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. ये दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए सबसे खास माना जाता है.

मोक्षदा एकादशी मोक्षदा एकादशी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:51 AM IST

Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. ये दिन मोक्ष प्राप्ति के लिए सबसे खास माना जाता है. मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोह का नाश करने वाली. इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है. इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इसलिए इसे गीता जयंती भी कहा जाता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 03 दिसंबर यानी आज के दिन मनाई जा रही है. 

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मोक्षदा एकादशी का महत्व (Mokshada Ekadashi 2022 Importance)

मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था इसलिए इसी दिन को गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है. गीता मात्र एक पुस्तक नहीं है बल्कि यह उपदेशों का जीवंत स्वरुप है अतः इसकी जयंती मनाई जाती है. इसके उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पूर्व में थे. मान्यता है कि इस दिन गीता के पाठ से मुक्ति मोक्ष और शान्ति का वरदान मिलता है. गीता के पाठ से जीवन की ज्ञात अज्ञात समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है. इस दिन उपवास रखकर श्रीहरि के नाम का कीर्तन, गीत करते हुए रात भर जागरण करें.

मोक्षदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2022 Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मोक्षदा एकादशी मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जा रही है. मोक्षदा एकादशी की शुरुआत शनिवार 03 दिसंबर 2022 यानी आज सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर हो चुकी है. इसका समापन 04 दिसंबर यानी कल सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर होगी. मोक्षदा एकादशी का पारण भक्त 04 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 05 मिनट से लेकर 09 बजकर 09 मिनट तक कर सकते हैं. उदयातिथि के अनुसार मोक्षदा एकादशी 03 दिसंबर यानी मनाई जा रही है. 

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मोक्षदा एकादशी की पूजन विधि (Mokshada Ekadashi 2022 Pujan Vidhi)

इस दिन भगवान विष्णु और उनके कृष्ण अवतार दोनों की पूजा की जाती है. मोक्षदा एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान कर साफ वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. उस पर भगवान विष्णु और कृष्ण की स्थापना करें. लाल या पीले कपड़े में लपेट कर गीता की नई प्रति भी स्थापित अब फल, मिष्ठान्न और पंचामृत अर्पित करें और श्री कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें. गीता का सम्पूर्ण पाठ या अध्याय 11 का पाठ करें. अंत में अपनी कामनापूर्ति की प्रार्थना करें. इस दिन दान का फल अनंत गुना मात्र में प्राप्त होता है.

मोक्षदा एकादशी के दिन भूलकर न करें ये काम (Mokshada Ekadashi 2022 Dos and Donts)

1. मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से एक दिन पहले से ही प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, बैंगन, जौ आदि का सेवन न करें.

2. मोक्षदा एकादशी के दिन किसी के लिए मन में गलत विचार न लाएं. 

3. मोक्षदा एकादशी व्रत के दिन बाल, दाढ़ी और नाखून काटने से बचना चाहिए और इस दिन झाड़ू का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. 

4. मोक्षदा एकादशी के दिन फूल और तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए. मोक्षदा एकादशी के पहले दिन ही तुलसी के पत्तों को तोड़कर रख लेना चाहिए.  

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5. मोक्षदा एकादशी के दिन क्रोध को शांत रखना चाहिए. साथ ही इस दिन किसी से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए. इसके अलावा इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए. 

मोक्षदा एकादशी पर करें उपाय (Mokshada Ekadashi Upay)

1. मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी का पौधा जरूर लगाएं. तुलसी का पौधा लगाते समय दिशा का जरूर ध्यान रखें. इसकी दिशा पूर्व की तरफ होनी चाहिए. 

2. मोक्षदा एकादशी के दिन स्नान के बाद पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए. भगवान विष्णु को पीले फूल, वस्त्र, फल आदि पूजा में अर्पित करें.

3. इस दिन भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें और तुलसी जरूर अर्पित करें.

4. मोक्षदा एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

5. इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करना बेहद शुभ माना जाता है. इससे श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

6. एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करने का विशेष महत्व है.

मोक्षदा एकादशी कथा

प्राचीन समय में गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था. एक दिन राजा ने स्वप्न आया कि उसके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं. अपने पिता की यह दशा देखकर राजा व्याकुल हो उठा. उसने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने स्वप्न का मतलब पूछा. ब्राह्मणों ने उन्हें पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछने की सलाह दी. राजा ने ऐसा ही किया. जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे चिंतित हो गए. उन्होंने कहा कि- हे राजन! पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से आपके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है. मोक्षदा एकादशी का व्रत और उसका फल अपने पिता को अर्पण करने उनकी मुक्ति हो सकती है. राजा ने मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन, दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया. इसके बाद व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई.

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