
Narak Chaturdashi 2022: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है. इसे यम चतुर्दशी और छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस दिन आयु के देवता यमराज की उपासना से दीर्घायु और सौन्दर्य प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. इस साल नरक चतुर्दशी सोमवार, 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. आइए नरक चतुर्दशी आने से पहले आपको बताते हैं कि नरक कहां होता है, कितने प्रकार का होता है और मृत्यु के बाद यहां कौन जाता है.
कहां है नरक लोक?
गरुड़ पुराण के अनुसार, स्वर्ग धरती के ऊपर है तो नरक धरती के नीचे यानी पाताल भूमि में है. इसे अधोलोक भी कहते हैं. महाभारत में जब राजा परीक्षित ने शुकदेवजी से पूछा था कि नरक लोक कहां है तब उन्होंने कहा था कि नरक त्रिलोक के भीतर ही है. ये दक्षिण की ओर पृथ्वी से नीचे जल के ऊपर स्थित है. वहां सूर्य पुत्र पितृराज यम रहते हैं. यमदेव यहीं अपने दूतों द्वारा लाए गए मृतकों को उनके दुष्कर्मों की सजा देते हैं.
कितने प्रकार के होते हैं नरक?
वैसे तो नरक की कुल संख्या 55 करोड़ से भी ज्यादा बताई गई है, लेकिन इनमें 21 सर्वप्रमुख हैं. इन 21 नरकों के नाम हैं- तामिस्त्र, अंधसिस्त्र, रौवर, महारौवर, कुम्भीपाक, कालसूत्र, आसिपंवन, सकूरमुख, अंधकूप, मिभोजन, संदेश, तप्तसूर्मि, वज्रकंटकशल्मली, वैतरणी, पुयोद, प्राणारोध, विशसन, लालभक्ष, सारमेयादन, अवीचि, और अय:पान.
कौन जाता है नरक लोक?
गरुड़ पुराण के अनुसार, देवी-देवता और पितरों का अपमान करने वालों को नरक लोक भोगा पड़ता है. इसके अलावा, तामसिक भोजन, मांस, मदिरा पान का सेवन करने वाले, असहाय को सताने वाले, क्रोधी और अहंकारी को भी नरक जाना पड़ता है. इन्हें मृत्यु के बाद अपने पापों के हिसाब से नरक लोक भोगने पड़ते हैं.
नरक लोक जाने से कैसे बचें?
पाप के भागीदार हर इंसान को नरक लोक भोगना ही पड़ता है. लेकिन अगर आप नरक लोक जाने से बचना चाहते हैं तो कुछ बातों का ख्याल रखें. एकादशी का व्रत जरूर रखें. कहते हैं कि एकादशी का व्रत करने वालों को स्वर्ग लोक प्राप्त होता है. बुरे कर्मों का त्याग करें और पुण्य देने वाले कर्मों को अपनाना शुरू करें. पितरों का विधिवत श्राद्ध करने वाले भी नरक जाने से बच सकते हैं.