Advertisement

Navratri 2022: इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानें क्या हैं संकेत

Navratri 2022: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 26 सितंबर दिन सोमवार से नवरात्रि प्रारंभ होंगे. इसका समापन 05 अक्टूबर को होगा. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है. इसमें मां दुर्गा की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे दुख, दर्द दूर हो जाते हैं.

26 सितंबर से शुरू होने वाले हैं नवरात्रि, इस बार हाथी पर सवार होकर आएंंगी मां दुर्गा 26 सितंबर से शुरू होने वाले हैं नवरात्रि, इस बार हाथी पर सवार होकर आएंंगी मां दुर्गा
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

Navratri 2022: पितृपक्ष के बाद शारदीय नवरात्रि आने वाले हैं. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 26 सितंबर दिन सोमवार से नवरात्रि प्रारंभ होंगे. इसका समापन 05 अक्टूबर को होगा. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है. इसमें मां दुर्गा की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे दुख, दर्द दूर हो जाते हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल शारदीय नवरात्रि में मैय्या रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी.

Advertisement

कैसे तय होती है मैया की सवारी?
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि का प्रारंभ जब रविवार या सोमवार के दिन से होता है तो माता हाथी पर सवार होकर आती हैं.  यदि नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से शुरू हों तो माता रानी पालकी में आती है. वहीं, नवरात्रि की शुरुआत अगर मंगलवार या शनिवार से हो तो माता घोड़े पर सवार होकर आती है. मां दुर्गा के नवरात्र अगर बुधवार से शुरू हों तो माता नौका में सवार होकर आती हैं.

क्यों खास है हाथी की सवारी?
ऐसी मान्यताएं हैं कि जब नवरात्रि में माता रानी हाथी पर सवार होकर आती हैं तो बारिश होने की संभावना बहुत बढ़ जाती हैं. इससे चारों ओर हरियाली छाने लगती है और प्रकृति का सौंदर्य अपने चरम पर होता है. तब फसलें भी बहुत अच्छी होती हैं. मैय्या रानी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो अन्न-धन के भंडार भरती है. धन-धान्य में वृद्धि लाती हैं. माता का हाथी या नौका पर सवार होकर आना साधकों के लिए बहुत मंगलकारी माना जाता है.

Advertisement

शारदीय नवरात्रि पूजा विधि

नवरात्रि के सभी दिनों में सुबह जल्दी उठकर नहाएं और साफ कपड़े पहनें. पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की प्रक्रिया को पूरा करें. कलश में गंगाजल भरें, और उसके मुख के ऊपर आम के पत्ते रखें. कलश की गर्दन को पवित्र लाल धागे या मोली लपेटें और नारियल को लाल चुनरी के साथ लपेटें. नारियल को आम के पत्तों के ऊपर रखें. कलश को मिट्टी के बर्तन के पास या उस पर रखें. मिट्टी के बर्तन पर जौ के बीज बोएं और नवमी तक हर रोज कुछ पानी छिड़कें. इन नौ दिनों में मां दुर्गा मंत्रों का जाप करें. माँ को अपने घर में आमंत्रित करें. देवताओं की पूजा भी करें, जिसमें फूल, कपूर, अगरबत्ती, खुशबू और पके हुए व्यंजनों के साथ पूजा करनी चाहिए. 

आठवें और नौवें दिन, एक ही पूजा करें और अपने घर पर नौ लड़कियों को आमंत्रित करें. ये नौ लड़कियां मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं. इसलिए, उन्हें एक साफ और आरामदायक जगह पर बैठाकर उनके पैरों को धोएं. उनकी पूजा करें, उनके माथे पर तिलक लगाएं और उन्हें स्वादिष्ट भोजन परोसें. दुर्गा पूजा के बाद अंतिम दिन, घट विसर्जन करें. 

शारदीय नवरात्रि तिथि

प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 26 सितम्बर 2022
द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 27 सितम्बर 2022
तृतीया (मां चंद्रघंटा): 28 सितम्बर 2022
चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 29 सितम्बर 2022
पंचमी (मां स्कंदमाता): 30 सितम्बर 2022
षष्ठी (मां कात्यायनी): 01 अक्टूबर 2022
सप्तमी (मां कालरात्रि): 02 अक्टूबर 2022
अष्टमी (मां महागौरी): 03 अक्टूबर 2022
नवमी (मां सिद्धिदात्री): 04 अक्टूबर 2022
दशमी (मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन): 5 अक्टूबर 2022

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement