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Navratri 2022: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा, जानें महत्व और पूजन विधि

मां कूष्मांडा नवदुर्गा का चौथा स्वरूप हैं. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं है. इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प,कलश, चक्र और गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली माला है.

Navratri 2022: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा, जानें महत्व और पूजन विधि Navratri 2022: नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा, जानें महत्व और पूजन विधि
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 7:06 AM IST
  • मां कूष्मांडा नवदुर्गा का चौथा स्वरूप
  • मां सिंह की सवारी करती हैं, जो धर्म का प्रतीक है

नवरात्रि में चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है. मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की रचनाकार कहा गया है. ये नवदुर्गा का चौथा स्वरूप है. इनकी आठ भुजाएं है. इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प,कलश, चक्र और गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली माला है. देवी के हाथों में जो अमृत कलश है, वह अपने भक्तों को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वर देती है. मां सिंह की सवारी करती हैं, जो धर्म का प्रतीक है.

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भागवत पुराण के अनुसार, माता कूष्मांडा का ये स्वरूप देवी पार्वती के विवाह के बाद से लेकर कार्तिकेय के जन्म के बीच का है. इस रूप में देवी संपूर्ण सृष्टि को धारण करने वाली है. मान्यता है कि संतान की इच्छा रखने वालों भक्तो को मां की उपासना करनी चाहिए. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो देवी के इस स्वरूप की उपासना से कुंडली के बुध से जुड़ी परेशानियां दूर हो सकती है. इनकी उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं.

मां कूष्मांडा की पूजन विधि
नवरात्र में हरे या संतरी रंग के कपड़े पहनकर मां कूष्मांडा का पूजन करें. पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें. मां कूष्मांडा को उतनी हरी इलाइची अर्पित करें जितनी कि आपकी उम्र है. हर इलाइची अर्पित करने के साथ "ॐ बुं बुधाय नमः" कहें. सारी इलाइची को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर रखें. इलाइची को शारदीय नवरात्रि तक अपने पास सुरक्षित रखें
इसके बाद उनके मुख्य मंत्र "ॐ कूष्मांडा देव्यै नमः" का 108  बार जाप करें. चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.

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मां कूष्मांडा को प्रिय है मालपुए
मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं. इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और खुद भी खाएं. इससे बुद्धि का विकास होने के साथ साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी. मां कूष्मांडा की आराधना ना सिर्फ आपके संकटों का निवारण कर सकती है, बल्कि आपकी धन-धान्य की समस्या भी हल कर सकती है. 

 

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