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Magha Shraddh 2024: पितृ पक्ष में मघा श्राद्ध की तिथि सबसे खास मानी जाती है. ज्योतिष शास्त्र में मघा श्राद्ध दसवां नक्षत्र होता है. पितृ पक्ष के दौरान मघा श्राद्ध तब किया जाता है जब अपराह्न काल में मघा नक्षत्र प्रबल होता है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति मघा नक्षत्र में अपने पितरों का श्राद्ध करता है, उसे श्राद्ध का पुण्य फल शीघ्र प्राप्त होता है, और जातक की कई पीढ़ियों का जीवन सुख संपत्ति से परिपूर्ण होता है. अगर कुंडली में पितृदोष हो तो उसे दूर करने के लिए किया जाने वाला श्राद्ध अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस बार मघा श्राद्ध 29 सितंबर यानी आज किया जाएगा.
मघा श्राद्ध 2024 तर्पण विधि (Magha Shraddh 2024 rituals)
आश्विन मास में आने वाले मघा नक्षत्र में पितरों अर्थात पूर्वजों के लिए श्राद्ध कार्य करना अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है. सामान्य रूप से पितरों की मृत्यु तिथि पर श्राद्ध का कार्य होता है. मघा श्राद्ध में तिल, कुशा, पुष्प, अक्षत, शुद्ध जल या गंगा जल सहित पूजन करना चाहिए. पिंडदान, तर्पण कर लेने के पश्चात ब्राह्माणों को भोजन कराना चाहिए. इसके साथ ही फल, वस्त्र, दक्षिणा एवं दान कार्य करने से पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है. मघा श्राद्ध एक वैदिक कर्म है इसे पूर्ण श्रद्धा एवं भक्ति के साथ किया जाना चाहिए.
मघा श्राद्ध समय सभी कामों को पूरे विधि विधान से करने से पितरों को सुख एवं शांति प्राप्त होती है. किसी को अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो उन लोगों के लिए भी मघा नक्षत्र में अपने पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं और पितृदोष की शांति करा सकते हैं. श्राद्ध समय दूध की खीर बना, पितरों को अर्पित करने से पितर दोष से मुक्ति मिल सकती है.
मघा श्राद्ध महत्व (Magha Shraddh Significance)
मत्स्य पुराण में मघा श्राद्ध सहित पितृ पक्ष श्राद्ध का महत्व बताया गया है. पितृ पक्ष के दौरान मघा श्राद्ध एक शुभ दिन होता है. यह वो विशेष दिन होता है, जब मघा नक्षत्र प्रबल होता है, यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि मघा नक्षत्र पर 'पितरों' का प्रभाव होता है. ऐसा माना जाता है कि मघा पर तर्पण अनुष्ठान करने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और पुण्य भी प्राप्त होता है. इस पूजा के परिणामस्वरूप, पितरों को मुक्ति और शांति प्राप्त होती है. तर्पण और पिंडदान से संतुष्ट होने के बाद पितरों द्वारा आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मघा श्राद्ध मुहूर्त
कुतुप मूहूर्त - सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
रौहिण मूहूर्त - दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से दोपहर 1 बजकर 23 मिनट तक
अपराह्न काल - दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से 03 बजकर 46 मिनट तक