
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में दुनिया के सबसे मेडीटेशन सेंटर स्वर्वेद महामंदिर का आज उद्घाटन किया. उद्घाटन के बाद, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उस केंद्र का दौरा किया, जिसमें ध्यान के लिए एक समय में 20,000 लोग बैठ सकते हैं. सात मंजिला अधिरचना महामंदिर की दीवारों पर स्वर्वेद के छंद उकेरे गए हैं.
मंदिर को बेहद खूबसूरत तरीके से तैयार किया गया है. साथ ही मंदिर को सुंदर नक्काशी से तैयार किया गया है. मंदिर बेहद भव्य बनाया गया है. जानकारों की मानें तो इस मेडीटेशन सेंटर में एक बार में 20,000 लोग शामिल हो सकते हैं. इसलिए, इसे दुनिया का सबसे बड़ा मेडीटेशन सेंटर कहा जा रहा है.
क्या है इस मंदिर की खासियत
स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत साल 2004 में हुई थी. सात मंजिला स्वर्वेद महामंदिर 68,000 वर्ग फुट में फैला हुआ है और यह शिल्प और अत्याधुनिक तकनीक के अद्भुत सामंजस्य का प्रतीक है. यह एक आध्यात्मिक मंदिर है जो स्वर्वेद को समर्पित है, एक आध्यात्मिक पाठ जिसमें सात मंजिलें हैं जो मूल रूप से 7 चक्रों को समर्पित हैं. स्वर्वेद महामंदिर को कमल के फूल जैसा स्वरूप दिया गया है.
स्वर्वेद मंदिर का नाम स्व: और वेद से जुड़कर बना है. स्व: का एक अर्थ है आत्मा, वेद का अर्थ है ज्ञान. जिसके द्वारा आत्मा का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, जिसके द्वारा स्वयं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, उसे ही स्वर्वेद कहते हैं. इस मंदिर की दीवारों पर 4000 वेदों से जुड़े दोहे भी लिखे गए हैं. साथ ही मंदिर की बाहरी दीवारों पर उपनिषद, महाभारत, रामायण, गीता आदि से जुड़े चित्र बनाए गए हैं जिससे लोग कुछ प्रेरणा लें सकें.
क्या हैं स्वर्वेद महामंदिर
स्वर्वेद महामंदिर को विश्व का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र बनाया गया है. यह महामंदिर 7 मंजिला तैयार किया गया है. इसमें 20,000 से अधिक लोग एक साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं. स्वर्वेद मंदिर को 'विहंगम योग' यानि कि योग साधकों के लिए बनाया गया है. इस मंदिर में 3000 लोगों के एक साथ बैठ कर प्राणायाम, ध्यान और योग करने की सुविधा होगी. साथ ही इस महामंदिर में 125 पंखुड़ी वाला कमल गुंबद तैयार किया गया है. इस महामंदिर में सामाजिक कुरीतियों और सामाजिक बुराइयों का उन्मूलन शामिल है. इसको ग्रामीण भारत की भलाई के लिए अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक परियोजनाओं का केंद्र भी बनाया गया है. मंदिर की नक्काशी में भारतीय विरासत की झलक दर्शाती जटिल नक्काशीदार बलुआ पत्थर की संरचनाएं हैं. मंदिर की दीवारों के चारों ओर गुलाबी बलुआ पत्थर की सजावट भी हैं.