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Ayodhya Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा से पहले सजेगी राम की पैड़ी, आखिर क्यों है ये जगह बेहद खास

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी 2024 को राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. राम मंदिर का यह कार्य अंतिम चरण में है, जो कि रामभक्तों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है. वहीं, राममंदिर का निर्माण कार्य के साथ अयोध्या को भी रामायण के प्रतीक के रूप में सजाया जा रहा है.

राम की पैड़ी राम की पैड़ी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:12 PM IST

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को होने वाली है. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. 

राम भक्तों में मंदिर को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. रामनगरी अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन की तैयारी अब अंतिम चरण में है. जैसे-जैसे मुख्य मंदिर का निर्माण कार्य बहुत तेजी से हो रहा है रामपथ, भक्ति पथ और सुग्रीव किला की आसपास का सौंदर्यकरण का काम भी अंतिम दौर में है. 

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रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. बता दें कि अयोध्या में 2.7 एकड़ में राम मंदिर बन रहा है. इसकी ऊंचाई लगभग 162 फीट की होगी. इस पूरे मंदिर परिसर में भगवान राम के मंदिर के साथ ही और भी 6 मंदिर बनाए जा रहे हैं. मंदिर के मुख्य द्वार को सिंह द्वार के नाम से जाना जाएगा. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद जब आम जनता के लिए मंदिर को खोला जाएगा तो हर दिन डेढ़ लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद की जा रही हैं. 

साथ ही अयोध्या को भी रामायण के प्रतीक के रूप में सजाया जा रहा है. ऐसे में रामायण काल की सबसे बड़ी साक्षी राम की पैड़ी को सुंदर तरीके सजाया जा रहा है ताकि भक्त इस जगह के बारे में ऐतिहासिक दृष्टिकोण से जान सकें. लेकिन, आखिर क्या है राम की पैड़ी? और ये जगह क्यों इतनी खास है? 

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क्या है राम की पैड़ी

राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे स्थित घाटों की एक श्रंखला है. पूर्णिमा के दिन यह स्थान बहुत ही सुंदर लगता है. श्रद्धालुओं में ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने से पाप धुल जाते हैं. पैड़ी शब्द का अर्थ है 'सीढ़ियां', जो सरयू की तरण ले जाती हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम भी इसी पैड़ी पर स्नान करने आते थे और स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को दान दिया करते थे. 

राम की पैड़ी के तट पर नाथ नागेश्वर मंदिर, चंद्र हरि मंदिर, विष्णु हरि मंदिर और सरयू मंदिर भी स्थित हैं. वर्ष 1984-1985 राम की पैड़ी का पुनर्निमाण कराया गया था.  

आखिर क्यों पड़ा इसका नाम राम की पैड़ी

राम की पैडी सरयू घाट के पास स्थित है, जिसके बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित है. ऐसी मान्यता है कि एक बार भगवान राम के भाई लक्ष्मण को तीर्थयात्रा पर जाने की इच्छा हुई. तो उस समय, सरयू नदी के तट पर खड़े होकर भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा कि जो भी भक्त सूर्योदय से पहले सरयू नदी में पवित्र स्नान करेगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी. यानी कि सूर्योदय से पहले सरयू में स्नान करने का अर्थ यह होगा कि भक्त ने सभी तीर्थों में स्नान कर लिया है. माना जाता है कि सरयू का ये वही तट है जहां भगवान राम ने लक्ष्मण से बात कही थी, उसी को आज राम की पैड़ी के नाम से जाना जाता है. 

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