
Ratha Saptami 2022: रथ सप्तमी के दिन आरोग्य के देवता सूर्य देव की पूजा का विधान है. पौराणिक कथा के अनुसार दुर्वासा ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने इस दिन सूर्य देव की आराधना की थी. इस दिन को अचला सप्तमी, सूर्य सप्तमी, रथ सप्तमी, माघ सप्तमी और सूर्य जयंती के अन्य नाम से भी जाना जाता है. रथ सप्तमी 7 फरवरी, सोमवार के दिन पड़ रही है. बताते हैं क्या है रथ सप्तमी की पौराणिक कथा...
रथ सप्तमी की व्रत कथा
रथ सप्तमी की पौराणिक कथा भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब से जुड़ी है. कथा के अनुसार सांब भी अपने पिता की तरह बेहद सुंदर और बलवान थे. सांब को इस बात का बड़ा अभिमान था. एक बार जब भगवान श्रीकृष्ण और सांब एक साथ मौजूद थे, तभी कृष्ण के पास दुर्वासा ऋषि मिलने के लिए पहुंच गए. दुर्वासा ऋषि बहुत लंबे समय से तप कर रहे थे इसलिए वह दिखने में बेहद कमजोर नजर आ रहे थे. ऋषि दुर्वासा के शरीर को देखकर सांब उन पर हंसने लगे. इस तरह के अनादर से दुर्वासा ऋषि सांब पर बेहद ही क्रोधित हो गए और उन्हें कोढ़ (कुष्ठ रोग) का श्राप दे दिया.
ऋषि के श्राप से सांब की हालत बहुत दयनीय हो गई. जिसके बाद उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ. सांब अपने पिता भगवान कृष्ण के पास सलाह लेने के लिए गए. तब भगवान कृष्ण ने उन्हें भगवान सूर्य की पूजा करने की सलाह दी. अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए सांब ने प्रतिदिन भगवान सूर्य की पूजा करनी प्रारंभ कर दी और अचला सप्तमी का व्रत रखना शुरू कर दिया. सूर्य व्रत करने और सूर्य के प्रति अटूट भक्ति के फलस्वरूप सांब जल्दी से अपने श्राप से मुक्त हो गए और एक बार फिर अपनी सुंदर और आकर्षक काया को प्राप्त कर लिया.