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Sawan Adhik Purnima 2023: सावन की पहली पूर्णिमा पर 3 शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Sawan Adhik Purnima 2023: सावन अधिक पूर्णिमा मंगलवार, 1 अगस्त को पड़ रही है. सावन अधिक पूर्णिमा में देवी-देवताओं की उपासना और व्रत-उपवास रखने से विशेष लाभ मिलता है. आइए सावन अधिक पूर्णिमा पूजन विधि जानते हैं.

Sawan Adhik Purnima 2023: सावन की पहली पूर्णिमा पर 3 शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Sawan Adhik Purnima 2023: सावन की पहली पूर्णिमा पर 3 शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 5:00 AM IST

Sawan Purnima 2023: श्रावण माह की पहली पूर्णिमा तिथि अधिक मास में लग रही है, इसलिए इसे सावन अधिक पूर्णिमा कहा जा रहा है. सावन अधिक पूर्णिमा मंगलवार, 1 अगस्त को यानी आज है. सावन अधिक पूर्णिमा में देवी-देवताओं की उपासना और व्रत-उपवास रखने से विशेष लाभ मिलता है. आइए सावन अधिक पूर्णिमा की पूजन विधि जानते हैं.

सावन अधिक पूर्णिमा 2023 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त को सुबह 5 बजकर 21 मिनट से लेकर 2 अगस्त को सुबह 1 बजकर 31 मिनट तक रहेगी. ऐसे में श्रावण अधिक पूर्णिमा व्रत 1 अगस्त दिन मंगलवार यानी आज को रखा जाएगा. इस दिन श्रावण मास का तृतीय मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा.

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पूजा का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण अधिक पूर्णिमा तिथि के दिन तीन बहुत ही शुभ योग बनने जा रहे हैं. इस दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग बनेगा. वहीं, उत्तराषाढ़ नक्षत्र का भी निर्माण होने जा रहा है.

प्रीति योग- 31 जुलाई को रात 11.04 बजे से 1 अगस्त को शाम 6.52 बजे तक
आयुष्मान योग-  1 अगस्त को शाम 06.52 बजे से 2 अगस्त को दोपहर 2.33 बजे तक
उत्तराषाढ़ - 31 जुलाई को शाम 06.58 बजे से 1 अगस्त को शाम 04.03 बजे तक

पूजन विधि
श्रावण मास की पहली पूर्णिमा पर मंगला गौरी व्रत का अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है. इस विशेष दिन पर स्नान, दान और पूजा-पाठ के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान शिव की उपासना का सौभाग्य प्राप्त होगा. इस शुभ तिथि को पूजा-उपासना करने वालों को मनचाहे फल की प्राप्ति हो सकती है.

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सावन अधिक पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करें. नदी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दें और मंत्रों का जाप करें. इसके बाद तुलसी पूजा करें. अधिक मास की पूर्णिमा के दिन तुलसी की विशेष पूजा होती है. इसके बाद सत्यनारायण की कथा करें. फिर शाम को दीपक जलाएं. चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं से युक्त होता है, इसलिए इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से धन लाभ के साथ समृद्धि बनी रहती है.

 

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