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शनि की साढ़े साती या ढैय्या से हैं परेशान? ये उपाय करने से खत्म होगी चिंता

यदि शनिदेव क्रोधित हो जाएं अच्छे-अच्छों की हालत खराब हो जाती है. हालांकि शनि की कृपा पाने के लिए बहुत से उपाय हैं, लेकिन शनि त्रयोदशी का दिन बेहद खास माना जाता है.

शनि त्रयोदशी पर जानिए साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के उपाय शनि त्रयोदशी पर जानिए साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव कम करने के उपाय
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:01 AM IST
  • पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं सरसों के तेल का दीपक
  • शनि देव के मंत्र का 108 बार जाप करने से मिलेगा लाभ

न्याय के देवता कहे जाने वाले शनिदेव अच्छे कर्म करने वालों को शुभ फल प्रदान करते हैं, तो वहीं अन्याय करने वालों को दंड भी देते हैं. यदि शनिदेव क्रोधित हो जाएं तो अच्छे-अच्छों की हालत खराब हो जाती है. हालांकि शनि की कृपा पाने के लिए बहुत से उपाय हैं, लेकिन शनि त्रयोदशी का दिन बेहद खास माना जाता है. 

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आज रखें व्रत
प्रदोष व्रत हर माह में दो बार शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है. इस समय भाद्रपद माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है. शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शनिवार 18 सितंबर 2021 यानि आज है. मान्यता है कि आज के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने से शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या से मुक्ति मिल जाती है. शनि त्रयोदशी में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. 

इस तरह करें पूजन 
प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करें. शिव जी को बेल-पत्र, गंगा-जल, धतूरा, अक्षत, धूप, दीप, अर्पित करें. इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा सुनें. कथा सुनने के बाद आरती कर भोग लगाएं. पूजा करने के बाद शनि देव को सरसों का तेल जरूर चढ़ाएं और शनि स्त्रोत, शनि चालीसा और शिव चालीसा का पाठ करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है. 

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ये करें उपाय 
यदि किसी जातक पर शनि की साढ़े साती या शनि ढैय्या चल रही है, तो शनि त्रयोदशी के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ की पूजा करें और वहां सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद शनिदेव के मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नम:” का 108 बार जाप करें. मान्यता है ऐसा करने से शनि परेशान नहीं करते.

शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 सितंबर दिन शनिवार को सुबह 06 बजकर 54 मिनट पर शुरू हो रही है. इसका समापन अगले दिन 19 सितंबर को सुबह 05 बजकर 59 मिनट पर होगा. व्रत रखने वाले जातकों को शिव जी और माता पार्वती की पूजा के लिए शाम के समय 02 घंटे 21 मिनट का शुभ समय मिलेगा. इस दिन शाम 06 बजकर 23 मिनट से रात 08 बजकर 44 मिनट तक प्रदोष व्रत की पूजा कर सकते हैं.

 

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