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Shani Sadesati: शनि की साढ़े साती या ढैय्या से हैं परेशान? ये उपाय करने से खत्म होगी चिंता

Shani Sadesati: ज्योतिष के अनुसार शनि हर राशी पर भ्रमण के दौरान एक विशेष तरह का प्रभाव डालता है. जब यह प्रभाव किसी राशी के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़ेसाती कहते हैं. ढाई ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है.

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 9:22 AM IST

Shani Sadesati: शनि अपने भ्रमण के दौरान हर राशि को प्रभावित करता है. यह एक राशि पर लगभग ढाई वर्ष रहता है. जब यह प्रभाव किसी राशि के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़ेसाती कहते हैं. शनि जब किसी राशि के बारहवें भाव में रहता है या राशि में रहता है या उस राशि के दूसरे भाव में रहता है तो उस राशि पर साढ़ेसाती चलने लगती है. इस प्रकार शनि लगातार तीन बार किसी राशि को प्रभावित करता है. ढाई ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है. 

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साढ़ेसाती का क्या प्रभाव पड़ता है 

लोगों का मानना है कि यह हमेशा बुरा फल देती है. परंतु ऐसा बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है. सबसे पहले देखना होगा कि आपकी व्यक्तिगत दशा क्या है. इसके बाद कुंडली में शनि की स्थिति देखनी होगी. तब जाकर यह समझा जा सकता है कि साढ़ेसाती या ढैय्या का फल बुरा होगा या अच्छा होगा.  

साढ़ेसाती का जीवन पर असर

अगर यह शुभ परिणाम दे तो करियर में सफलता मिलती है. व्यक्ति को आकस्मिक रूप से धन और उच्च पद मिल जाता है. साथ ही व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के योग बन जाते हैं. अगर साढ़ेसाती अशुभ परिणाम दे तो रोजगा के रास्ते बंद हो जाते हैं. स्वास्थ्य की जटील समस्याएं हो जाती हैं. कभी कभी दुर्घटनाओं तथा अपयश की स्थिति आ जाती है. साढ़ेसाती सबसे ज्यादा मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर डालती है. 

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साढ़ेसाती के उपाय

रोज सुबह और सायं शनि मंत्र " ऊं शं शनैश्चराय नम: " का जाप करें. शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल ता दीपक जलाएं. वहीं पर हनुमान चालीसा का पाठ भी करें. भोजन में सरसों का तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें. साथ ही अपना व्यवहार और आचरण अच्छा रखें. इसके अलावा एक लोहे का छल्ला बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करें. जब साढ़ेसाती का प्रकोप ज्यादा बढ़ जाए तो शनिवार को शाम के समय दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें. 

ऐसे करें शनिदेव की पूजा 

शनिवार को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद शनि की पूजा अर्चना से विशेष लाभ होता है. काले या नीले आसन पर बैठकर तिल के तेल का दीपक जलाएं. पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करें और प्राणायाम करें. अब लगातार 7 बार शनिस्तोत्र का पाठ करें ऐसा सुबह और शाम लगातार 27 दिन करें. अपनी समस्या के लिए शनिदेव से प्रार्थना करें. 

शनि की पूजा के समय बरतें सावधानियां 

शनिदेव की पूजा हमेशा सूर्योदय से पहले करें या सूर्यास्त के बाद करें. शनिदेव की पूजा में हमेशा साफ सुथरे कपड़े पहन कर और नहा धोकर ही करें. शनिदेव की पूजा पाठ में हमेशा सरसों के तेल या तिल के तेल का ही प्रयोग करें. शनिदेव की पूजा हमेशा शांत मन से करें. पूजा में काले या नीले रंग के आसन का इस्तेमाल करें. शनि की पूजा पीपल के पेड़ के नीचे करें.

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