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Sharad Purnima 2024 Date: शरद पूर्णिमा आज, जानें चंद्रोदय का समय और दिव्य खीर का महत्व

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देती

शरद पूर्णिमा वो दिन होता है, जब मौसम में परिवर्तन की शुरुआत होती है. शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आगमन होता है शरद पूर्णिमा वो दिन होता है, जब मौसम में परिवर्तन की शुरुआत होती है. शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आगमन होता है
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 7:33 PM IST

Sharad Purnima 2024 Date: शरद पूर्णिमा की महिमा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा या शरद पूर्णिमा कहा जाता है. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी अपनी सवारी उल्लू पर सवार होकर धरती पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देती हैं. ऐसी भी मान्यताएं हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं. इस साल शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा.

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शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व
शरद पूर्णिमा वो दिन होता है, जब मौसम में परिवर्तन की शुरुआत होती है. शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आगमन होता है. चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं. चंद्रमा की किरणें कई बीमारियों दूर कर सकती हैं. शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है.

शरद पूर्णिमा की तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर इसका समापन होगा. शाम के वक्त आप खीर बनाकर मां लक्ष्मी को अर्पित कर सकते हैं. फिर रात को 08:40 बजे चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का सही मुहूर्त है. इस वक्त चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से संपन्न होगा.

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शरद पूर्णिमा पूजन विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. समस्त देवी-देवताओं का आवाह्न करें और वस्त्र, अक्षत, आसन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, सुपारी व दक्षिणा आदि अर्पित करने के बाद पूजा करनी चाहिए. संध्याकाल में दूध की खीर में घी मिलाकर अर्धरात्रि के समय भगवान को भोग लगाना चाहिए.

फिर रात्रि के समय चंद्रमा के उदय होने के बाद चंद्र देव की पूजा करें और खीर का नेवैद्य अर्पित करें. रात में खीर से भरे बर्तन को चन्द्रमा की अमृत समान चांदनी में रखना चाहिए और अगले दिन सुबह प्रसाद रूप में सबको बांटना चाहिए. इस दिन भगवान शिव-माता पार्वती और भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए.

शरद पूर्णिमा की दिव्य खीर
शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में रखी खीर खाने की परंपरा है. कहते हैं कि इस खीर में ऐसे औषधीय गुण होते हैं, जो रोग-पीड़ा को दूर रखते हैं. गाय के दूध और घी से खीर तैयार करें. इसमें चीनी मिलाएं. इसे भोग के रूप में धन की देवी को मध्यरात्रि में अर्पित करें. रात में, भोग लगे प्रसाद को चंद्रमा की रोशनी में रखें और दूसरे दिन इसका सेवन करें. इसे प्रसाद की तरह वितरित किया जाना चाहिए और पूरे परिवार के साथ साझा किया जाना चाहिए. मान्यता है कि इस अमृत वाली खीर में कई रोगों को दूर करने की शक्ति होती है.

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