Advertisement

Swami Vivekananda Jayanti 2023: जब राजा ने स्वामी विवेकानंद के आने पर वेश्या को बुलाया, फिर...

Swami Vivekananda Jayanti 2023: स्वामी विवेकानंद को एक वेश्या ने संन्यास का असल मतलब समझाया था. जयपुर के राजा ने एक बार उन्हें महल में आमंत्रित किया था लेकिन भूल से उनकी मेजबानी के लिए एक वेश्या को बुला लिया था. आगे की कहानी बेहद ही दिलचस्प है-

स्वामी विवेकानंद ने कम उम्र में ही सन्यास ग्रहण कर लिया था (File Photo) स्वामी विवेकानंद ने कम उम्र में ही सन्यास ग्रहण कर लिया था (File Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST
  • कम उम्र में ही संन्यासी बन गए थे विवेकानंद
  • एक वेश्या ने बताया था संन्यास का असल मतलब
  • दिलचस्प है कहानी

Swami Vivekananda Jayanti 2023: भारत के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है जिसे युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. विवेकानंद ने बेहद कम उम्र में ही संन्यास ग्रहण कर लिया था. जब वो संन्यासी बनने की प्रक्रिया में थे, तब एक वेश्या ने उन्हें संन्यास का सही मतलब समझाया था. 

क्या है पूरी कहानी

ओशो की कहानियों में विवेकानंद के इस जीवन प्रसंग का वर्णन मिलता है. हुआ ये कि जयपुर के राजा, जो कि विवेकानंद के बहुत बड़े प्रशंसक थे, उन्होंने उन्हें एक बार आमंत्रण भेजा. शाही परंपरा के अनुसार, विवेकानंद का स्वागत करने के लिए राजा ने कई नर्तकियों को बुलाया. उनमें एक वेश्या भी थी.

Advertisement

बाद में राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ कि किसी संन्यासी की मेजबानी करते समय वेश्या को नहीं बुलाना चाहिए. संन्यासियों के लिए यह अशुद्ध माना जाता है. हालांकि, जब तक राजा को इस बात का एहसास हुआ, बहुत देर हो चुकी थी. राजा ने पहले ही वेश्या को महल में बुला लिया था और सारी व्यवस्था कर ली गई थी.

विवेकानंद को जब इस बात का पता चला तो वो परेशान हो गए. वो अभी पूर्ण संन्यासी नहीं हुए थे इसलिए स्त्री के प्रति आकर्षण से बचने के लिए वो पूर्ण कोशिश कर रहे थे. अगर वो पूर्ण सन्यासी हो गए होते तो उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी मेजबानी के लिए किसी वेश्या को बुलाया गया है.

विवेकानंद संन्यासी बनने की प्रक्रिया में अपनी यौन इच्छाओं को भी दबा रहे थे, इसलिए उन्होंने वेश्या के साए से बचने के लिए खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और बाहर आने से मना कर दिया.

Advertisement

 ये भी पढ़ें- जब स्वामी विवेकानंद ने मूर्ति पूजा की आलोचना पर राजा को करा दिया था चुप

महाराजा आए और उन्होंने विवेकानंद से क्षमा मांगी. उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले कभी किसी संन्यासी की मेजबानी नहीं की है इसलिए उन्हें नहीं पता था कि क्या करना चाहिए. उन्होंने विवेकानंद से कमरे से बाहर आने का आग्रह करते हुए कहा वो वेश्या देश की सबसे बड़ी वेश्या है और उसे अचानक यूं वापस भेजना उसका अपमान होगा. लेकिन विवेकानंद बेहद गुस्से में आ गए और उन्होंने कहा कि एक वेश्या के सामने वो कभी नहीं आएंगे.

उनकी बातें सुनकर वेश्या निराश हो गई और उसने विवेकानंद के लिए गाना गाना शुरू किया. उसने गीत के जरिए कहा, 'मैं जानती हूं, मैं आपके योग्य नहीं हूं लेकिन आप मुझ पर थोड़ी दया कर सकते थे. मैं जानती हूं कि मैं रास्ते की गंदगी हूं. लेकिन आपको मुझसे नफरत करने की जरूरत नहीं है. मेरा कोई वजूद नहीं है, मैं अज्ञानी हूं, पापी हूं. लेकिन आप तो एक संत हैं, फिर आप मुझसे डर क्यों रहे हैं?'

यह सब सुनकर विवेकानंद को अचानक अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्हें लगा कि वो वेश्या का सामना करने से इतना डर क्यों रहे हैं? इसमें क्या गलत है?

Advertisement

तब उन्हें अहसास हुआ कि उनके मन में ही वेश्या से आकर्षण का डर है. अगर वो ये डर छोड़ देंगे तो उनका मन शांत हो जाएगा और वो संन्यास की तरफ अग्रसर होंगे. गाना सुन उन्होंने तुरंत दरवाजा खोला और वेश्या को प्रणाम किया. वेश्या से वो बोले, 'भगवान ने आज एक बड़ा रहस्य खोल दिया है. मुझे डर था कि मेरे अंदर कोई वासना होगी लेकिन आपने मुझे पूरी तरह परास्त कर दिया. मैंने ऐसी शुद्ध आत्मा पहले कभी नहीं देखी.'

उन्होंने आगे कहा, 'अब मैं आपके साथ अकेले भी रहूं तो भी मेरे मन में किसी प्रकार का डर नहीं रहेगा.'  

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement