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Mahakal Lok Inauguration: 350 करोड़ रुपये में पूरा हुआ मंदिर का पहला फेज, दर्शन के लिए ऐसे पहुंचें उज्जैन

मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल परिसर का निर्माण 20 हेक्टेयर में किया जा रहा है. ये उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा है जो पांच हेक्टेयर में फैला है. महाकाल लोक में आने वाले लोगों को यहां कला और अध्यात्म का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलेगा. राजधानी दिल्ली से उज्जैन महाकाल कॉरिडोर जाने वाले यात्रियों के लिए सड़क मार्ग, ट्रेन और फ्लाइट तीनों ही विकल्प मौजूद है.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 7:12 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज महाकालेश्वर मंदिर कॉरिडोर विकास परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन कर रहे हैं. उद्घाटन के बाद अगले दिन से आम लोग भी महाकाल की इस अनोखी नगरी का दीदार कर पाएंगे. मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल परिसर का निर्माण 20 हेक्टेयर में किया जा रहा है. ये उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से चार गुना बड़ा है जो पांच हेक्टेयर में फैला है. महाकाल लोक में आने वाले लोगों को यहां कला और अध्यात्म का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलेगा.

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करीब 856 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट का पहला चरण लगभग 350 करोड़ रुपए में पूरा हुआ है. मंदिर के पहले चरण का कॉरिडोर करीब 900 मीटर से ज़्यादा लंबा है.


ऐसे पहुंचे मंदिर
अगर आप राजधानी दिल्ली से उज्जैन महाकाल कॉरिडोर जाना चाह रहे हैं तो सड़क मार्ग, ट्रेन और फ्लाइट तीनों ही ऑप्शन मौजूद है. दिल्ली से कई ट्रेनें उज्जैन के लिए सीधी जाती हैं. वहीं सड़क मार्ग से भी वहां पहुंचा जा सकता है. 

दिल्ली से उज्जैन के बीच दूरी करीब 800 किलोमीटर है. दिल्ली के साथ ही दूसरे राज्यों से भी सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है. अहमदाबाद, भोपाल, मुंबई, ग्वालियर जैसी इन जगहों से भी लोग सीधे उज्जैन जा सकते हैं. इंदौर से उज्जैन की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है. विमान से इंदौर या भोपाल एयरपोर्ट पहुंचकर सड़क मार्ग से भी उज्जैन पहुंचा जा सकता है.

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कला और अध्यात्म का मिश्रण है ये मंदिर

महाकाल लोक में भगवान शिव और उनके पूरे परिवार की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है. यहां भगवान शिव की लीलाओं का वर्णन करती छोटी-बड़ी करीब 200 मूर्तियां लगाई गई हैं. भगवान शिव ने किस तरह राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, इसका वर्णन यहां एक विशाल प्रतिमा के जरिए किया गया है.

महाकाल लोक में 108 विशाल स्तंभ बनाए गए हैं. इन पर भगवान महादेव, शक्ति समेत भगवान गणेश और कार्तिकेय के चित्र उकेरे गए हैं. यह चित्र भी प्रतिमा के स्वरूप में बने हैं और इनमें शिव, शक्ति, कार्तिकेय और गणेश की लीलाओं का वर्णन है. श्रद्धालुओं को मंदिर जाने में सुगमता के लिए 900 मीटर लंबा महाकाल पथ बना है. 

प्रतिमाएं खुद बताएंगी अपनी कहानी

महाकाल लोक के दर्शन करने आने वाले भक्त मोबाइल से स्कैन कर यहां स्थित प्रतिमाओं और उनसे जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे. इसके लिए प्रत्येक प्रतिमा के सामने एक बारकोड लगा है जिसे स्कैन करते ही जानकारी आपकी मोबाइल स्क्रीन पर आ जाएगी. इसका मकसद नई पीढ़ी को प्राचीन इतिहास और कथाओं की जानकारी देना है।

महाकाल कॉरिडोर पौराणिक सरोवर रुद्रसागर के किनारे विकसित किया गया है. यहां भगवान शिव, देवी सती और अन्य धार्मिक किस्सों से जुड़ी करीब 200 मूर्तियां और भित्ति चित्र उकेरे गए हैं. यहां सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, 108 स्तम्भों में शिव के आनंद तांडव, शिव स्तम्भ, प्रवेश द्वार पर विराजित नंदी की भव्य और विशाल प्रतिमाएं मौजूद हैं. 

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इस परियोजना से मध्य प्रदेश की तीर्थ नगरी उज्जैन में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. उज्जैन में हर साल करीब 1.5 करोड़ से अधिक लोग आते हैं. महाकाल लोक के उद्घाटन के बाद अब श्रद्धालुओं की ये संख्या दोगुनी हो सकती है.

 

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