
Vidur Niti (विदुर नीति): महाभारत काल के विद्वान और हस्तिनापुर के महामंत्री विदुर की नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं. विदुर नीति राजधर्म और धर्म नीति का व्यवहारिक विवेचन है. विदुर की नीतियां धर्म परक हैं, यही कारण है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) की नीतियों को अपनाया था. आइए जानते हैं विदुर की उस खास नीति के बारे में...
मिथ्योपेतानि कर्माणि सिध्येयुर्यानि भारत।
अनुपायप्रयुक्तानि मा स्म तेषु मनः कृथाः।।
विदुर कहते हैं कि अन्याय पूर्वक सिद्ध किए गए कार्यों का परिणाम हितकारी नहीं होता. कार्यों में सुचिता का होना आवश्यक है. सुचिता से आस्था और विश्वास बढ़ता है. भारतीय दार्शनिक कार्य सिद्ध करने के लिए अन्याय का रास्ता चुनने को अनावश्यक मानते हैं. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को देखें तो महात्मा गांधी ने भी अपने आंदोलनों में सुचिता को महत्व दिया है.
महात्मा गांधी भी यही कहते थे कि अच्छे उद्देश्य की प्राप्ति में आपके साधन भी सात्विक और अहिंसक होने चाहिए. उनका स्पष्ट कहना था कि यदि छल कपट के सहारे आजादी प्राप्त करना चाहेंगे तो हम भटक सकते हैं. गांधी जी के इन विचारों में महात्मा विदुर के इसी श्लोक की झलक मिलती है.
महात्मा विदुर की इस नीति को हर व्यक्ति को अपने व्यवहारिक जीवन में अपनाना चाहिए. अन्यथा अपने उद्देश्य और रास्ते से भटक सकते हैं, इसका परिणाम भी गलत हो सकता है. सभी लोगों को गलत और विधि विरुद्ध कार्यों को करने के विचार से परहेज करना चाहिए.