Advertisement

धर्म

जानें, क्यों मनाया जाता है ओणम का त्योहार? ये है इसका महत्व

प्रज्ञा बाजपेयी
  • 25 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
जानें, क्यों मनाया जाता है ओणम का त्योहार? ये है इसका महत्व
  • 1/10

ये तो सभी जानते हैं कि भारत एक रंग-बिरंगा देश है. यहां की भौगोलिक स्थिति जितनी रंगारंग है उतनी ही विविधता इसके त्योहारों में भी है. भारत के कोने-कोने में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक त्योहारों की रंगीन तस्वीर देखते ही बनती है. इसी तरह का एक त्योहार केरल का ओणम भी है.

जानें, क्यों मनाया जाता है ओणम का त्योहार? ये है इसका महत्व
  • 2/10

केरल में ओणम ( Onam ) का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. जिस तरह दशहरे में दस दिन पहले रामलीलाओं का आयोजन होता है, उसी तरह ओणम से दस दिन पहले घरों को फूलों से सजाने का कार्यक्रम चलता है. ओणम हर साल श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है.

  • 3/10

इस बार 25 अगस्त यानी आज थिरूओणम (प्रमुख ओणम) मनाया जा रहा है.

Advertisement
  • 4/10

क्यों मनाया जाता है ओणम: ओणम पर्व की मान्यता है कि राजा बलि केरल के राजा थे. उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी व संपन्न थी. इसी दौरान भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर आए और तीन पग में उनका पूरा राज्य लेकर उनका उद्धार कर दिया. माना जाता है कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा को देखने के लिए आते हैं. तब से केरल में हर साल राजा बलि के स्वागत में ओणम का पर्व मनाया जाता है.

  • 5/10

ओणम के दौरान व्यंजनों का महत्व: भोजन को कदली के पत्तों में परोसा जाता है. इसके अलावा 'पचड़ी–पचड़ी काल्लम, ओल्लम, दाव, घी, सांभर' भी बनाया जाता है. पापड़ और केले के चिप्स बनाए जाते हैं. दूध की खीर का तो विशेष भोजन महत्व है. दरअसल ये सभी पाक व्यंजन 'निम्बूदरी' ब्राह्मणों की पाक–कला की श्रेष्ठता को दर्शाते हैं तथा उनकी संस्कृति के विस्तार में अहम भूमिका निभाते हैं. कहते हैं कि केरल में अठारह प्रकार के दुग्ध पकवान बनते हैं. इनमें कई प्रकार की दालें जैसे मूंग व चना के आटे का प्रयोग भी विभिन्न व्यंजनों में किया जाता है.

  • 6/10

ओणम के दौरान की जाने वाली तैयारियां:
केरल में ओणम के त्योहार को लेकर लोगों में इतनी उत्सुकता रहती है कि त्योहार से दस दिन पूर्व इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं. हर घर में एक फूल-गृह बनाया जाता है और कमरे को साफ करके इसमें गोलाकार रुप में फूल सजाए जाते हैं.

Advertisement
  • 7/10

इस त्योहार के पहले आठ दिन फूलों की सजावट का कार्यक्रम चलता है. नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाई जाती है. उनकी पूजा की जाती है तथा परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नाचती हुई तालियां बजाती हैं. रात को गणेश जी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है. बच्चे वामन अवतार के पूजन के गीत गाते हैं. मूर्तियों के सामने मंगलदीप जलाए जाते हैं. पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन किया जाता है.

  • 8/10

इसके साथ ही ओणम नई फसल के आने की खुशी में भी मनाया जाता है.

  • 9/10

हर घर के सामने फूलों की रंगोली सजाने और दीप जलाने की भी परंपरा हैं.

Advertisement
  • 10/10

इस मौके पर केरल में बोट महोत्‍सव का आयोजन भी किया जाता है. हर साल इस बोट रेस को देखने के लिए लाखों की संख्‍या में पर्यटक केरल पहुंचते हैं.

Advertisement
Advertisement