18 सितंबर 2019 से शनि मार्गी हो गया था यानी शनि की उलटी चाल शुरू हो गई थी. अब 24 जनवरी 2020 तक शनि इसी अवस्था में रहने वाला है. शनि की सीधी चाल शुरू होने में अभी 17 दिन का समय बाकी है. इस दौरान छह राशियों पर बुरा असर पड़ने की संभावनाएं ज्यादा हैं. आइए जानते हैं शनि के इस महाप्रकोप से बचने के उपाय क्या हैं.
वृषभ- राशि से अष्ठम भाव मे मार्गी शनि कार्य में परेशानी के साथ-साथ मन में निराशा ला सकता है इस समय अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें
उपाय- पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाएं और माता के
चरण स्पर्श करें. इसके अलावा नियमित रूप से महामृत्युंजय मंत्र का जाप
करें.
मिथुन- राशि से सप्तम भाव में मार्गी शनि व्यापार को बढ़ाने के साथ-साथ दांपत्य जीवन में कुछ खराबी कर सकता है. मिथुन राशि के जातक महाराज दशरथकृत नील शनि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें.
उपाय- अपने दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में काले घोड़े की नाल का छल्ला शनिवार के दिन शाम के समय धारण करें
कर्क- राशि से छठे भाव में मार्गी शनि विवाद बढ़ाने के साथ-साथ आपको समस्याओं में घेर सकता है इस दौरान क्रोध से बचें
उपाय- भगवान शिव के मंदिर में तिल के तेल का दिया जलाएं और शिवाष्टक
का पाठ करें. शनिवार के दिन एक लोहे के कटोरे में सरसों भरकर अपना चेहरा
उसमें देखकर छाया दान करें.
कन्या- राशि से चौथे भाव में मार्गी शनि सेहत में कुछ खराबी कर सकता है लेकिन कड़ी मेहनत के बाद- कार्यों में सफलता मिलेगी
उपाय- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की सात प्रदक्षिणा करें और हनुमान जी को गुड़ का भोग लगाएं. शनिदेव के बीज मंत्र 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:' का नियमित जाप करें.
उपाय- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की सात प्रदक्षिणा करें और
हनुमान जी को गुड़ का भोग लगाएं. शनिदेव के बीज मंत्र 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं
स: शनैश्चराय नम:' का नियमित जाप करें.
कन्या- राशि से चौथे भाव में मार्गी शनि सेहत में कुछ खराबी कर सकता है लेकिन कड़ी मेहनत के बाद- कार्यों में सफलता मिलेगी.
उपाय- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की सात प्रदक्षिणा करें और
हनुमान जी को गुड़ का भोग लगाएं. शनिदेव के बीज मंत्र 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं
स: शनैश्चराय नम:' का नियमित जाप करें.
मकर- राशि से बाहरवें- घर में मार्गी शनि- विदेश यात्रा का योग बढ़ाने के साथ-साथ खर्च भी बढ़ाएगा और जिम्मेदारियों को बोझ पहले से ज्यादा होगा. महाराज दशरथकृत नील शनि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें.
उपाय: ॐ शं शनिश्चराय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें और पीपल की सेवा करें.
24 जनवरी को शनी के वक्री होने के बाद शायद इन राशियों के ऊपर से प्रभाव कम हो जाए, लेकिन इसके बाद 2020 में कई राशियां शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित होंगी.
सभी ग्रहों में शनि के गोचर की अवधि सबसे अधिक होती
है, क्योंकि यह ग्रह लगभग ढाई वर्ष में राशि परिवर्तन करता है. इसलिए शनि
के गोचर का मानव जीवन पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. आइए जानते हैं किन
राशियों पर 2020 में शनि की टेढ़ी नजर पड़ने वाली है.
2020 में कैसी होगी शनि की चाल- शनि 24
जनवरी को धनु राशि से स्वराशि मकर में गोचर करेगा. इस वर्ष शनि 11 मई से 29
सितंबर तक मकर राशि में वक्री रहने वाला है. धनु और मकर राशि में पहले से
चल रही शनि की साढ़ेसाती के बाद अब कुंभ राशि पर भी साढ़ेसाती आ जाएगी. आइए
जानते हैं 2020 में किन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का खतरा मंडराएगा.
धनु-
धनु राशि के लोगों को 2020 में सावधान
रहने की जरूरत है. अगले वर्ष धनु राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का
प्रभाव रहेगा. साढ़ेसाती इस राशि के अंतिम चरण में है.
मकर-
अगले वर्ष शनि का गोचर मकर राशि में ही हो रहा है. साल 2020 में इस राशि में शनि की साढ़ेसाती दूसरे चरण में रहेगी.
कुंभ-
कुंभ राशि के लिए भी अगला साल
चिंताजनक हो सकता है. 2020 आपकी साढ़ेसाती का प्रथम चरण शुरू हो रहा है.
अगले 5 वर्षों तक यह आपकी कुंडली में रहने वाला है, इसलिए आपको फूंक-फूंककर
कदम रखने की जरूरत है.
शनि की साढ़ेसाती क्या है?-
साढ़ेसाती का
अर्थ है– साढ़े सात साल यानी जन्म चंद्र से एक भाव पहले चंद्र राशि व चंद्र
राशि से एक भाव आगे तक के शनि के भ्रमण में पूरे साढ़े सात साल का समय
लगता है क्योंकि शनि एक राशि में ढ़ाई साल तक रहता है.
साढ़ेसाती में जातक को कई बार मानसिक अवसाद व शारीरिक
कष्टों का सामना करना पड़ता है. हालांकि शनि की साढ़ेसाती का असर हमेशा
बुरा ही नहीं रहता.
शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति को कैसे फल प्रदान करेगी यह
व्यक्ति की जन्म कुंडली के योग पर निर्भर करता है. जन्म कुंडली के योग के
साथ दशा/अंतर्दशा किस ग्रह की चल रही है और दशानाथ कुंडली के किन भावों से
संबंध बना रहा है आदि बहुत सी बातें शनि की साढ़ेसाती के दौरान अहम होती
हैं.
साढ़ेसाती के क्या हैं उपाय?-
शनि की
साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान जीवन में काफी बदलाव आते हैं. यह बदलाव अच्छा
होगा या बुरा होगा ये आपकी जन्म कुंडली तय करेगी क्योंकि अच्छी दशा के साथ
शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती बुरी साबित नहीं होती है.