
Rahu Ketu Rashi Parivartan 2020: राहु-केतु ने बुधवार, 23 सितंबर को क्रमश: वृषभ और वृश्चिक राशि में प्रवेश कर लिया है. राहु-केतु एक दूसरे से समसप्तक रहते हैं. ये पाप ग्रह एकसाथ राशि परिवर्तन करते हैं. दोनों ग्रह अगले 18 महीनें इन्हीं राशियों में रहने वाले हैं. इनका असर अलग-अलग राशियों पर अगले 18 महीनों तक बना रहेगा. आइए जानते हैं राहु-केतु के दुष्प्रभाव को कैसे कम किया जा सकता है.
मेष- नियमित रूप से गणेश जी की उपासना करें. गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें. हर शनिवार कुत्तों को रोटी खिलाएं.
वृष- शिवलिंग पर नियमित जल अर्पित करें. नित्य प्रातः "नमः शिवाय" का जप करें. नियमित रूप से चन्दन की सुगंध लगाएं.
मिथुन- श्री हरि की उपासना करें. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. तुलसी की माला धारण करें.
कर्क- राहु के मंत्र का जप करें. मिश्रित धातु का छल्ला धारण करें. चन्दन का तिलक लगाए.
सिंह- सूर्य को नित्य प्रातः जल अर्पित करें. केतु के मंत्र का जप करें. वाणी और स्वभाव पर नियंत्रण रखें.
कन्या- श्री हरि की उपासना करें. नारायण कवच का पाठ करें. नित्य प्रातः तुलसी दल ग्रहण करें.
तुला- शिव जी की उपासना करें. महामृत्युंजय मंत्र का जप करें. मांस-मदिरा का प्रयोग बिलकुल बंद कर दें.
वृश्चिक- भगवान गणेश की पूजा करें. गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें. चन्दन की सुगंध लगाएं.
धनु- सूर्य को जल अर्पित करें. राहु मंत्र का जप करें. शनिवार को कुत्तों को रोटी खिलाएं.
मकर- चंद्र देव की पूजा करें. पूर्णिमा का उपवास रखें. स्वास्थ्य के मामले को न टालें.
कुम्भ- नित्य प्रातः शिवलिंग पर जल अर्पित करें. प्रातः और सायं शिव मंत्र का जप करें. खान पान में सात्विकता रखें.
मीन- राहु के मंत्र का जप करें. नियमित रूप से चंदन की सुगंध लगाएं. मिश्रित धातु का छल्ला धारण करें.