शनिदेव कर्म के अनुसार अच्छे और बुरे फल देते हैं इसलिए उन्हें कर्मफल दाता कहा जाता है. वक्री अवस्था यानी उल्टी दिशा में गति करने पर शनि का प्रभाव राशियों पर ज्यादा पड़ता है. अधिकतर लोग शनिदेव से डरते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई उपाय करते हैं.
जब कोई ग्रह वक्री होता है तब उसकी दृष्टि का प्रभाव अलग होता है. इस साल शनि 23 मई को वक्री होंगे. आइए जानते हैं कि शनिदेव की वक्री दृष्टि किन राशियों पर ज्यादा पड़ती है और इसके बुरे प्रभाव से कैसे बचा जा सकता है.
शनि ग्रह की दो राशियां हैं, कुंभ और मकर. वक्री शनि का सबसे ज्यादा असर इन्हीं दो राशियों पर होता है. साढ़े साती की वजह से ये प्रभाव और बढ़ जाएगा. इसके अलावा शनि तुला में उच्च और मेष में नीच का होता है. वक्री अवस्था में ये तुला राशि वालों को सकारात्मक जबकि मेष राशि वालों को नकारात्मक परिणाम देता है. शनि जब किसी राशि के सप्तम भाव में होता है तो अशुभ फल देता है.
अगर आपकी कुंडली में वक्री शनि शुभ है तो आपको हर क्षेत्र में तरक्की मिलगी लेकिन अशुभ होने पर आपके हर काम में रुकावट आएगी. आपका कोई भी काम समय से पूरा नहीं होगा और ज्यादातर नुकसान ही होगा.
वक्री होने पर शनि और अधिक बलशाली हो जाता है और उसका प्रभाव राशियों पर बहुत बढ़ जाता है. जिन राशियों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है उसके जातक मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान रहते हैं.
शनिग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय- शनिग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भगवान भैरव और हनुमान जी की पूजा करें. शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और शनिवार के दिन तिल, उड़द, लोहा, तेल, काला वस्त्र और जूते का दान करें.
हर शनिवार भगवान शनि की पूजा करें और शनि मंदिर में जाकर उन्हें तिल का तेल चढ़ाएं. इसके अलावा हर दिन शनि स्तोत्र का पाठ करने से भी शनि का दुष्प्रभाव कम होता है.
शनिवार के दिन काले कुत्ते, काली गाय को रोटी खिलाएं या काली चिंटी और काली चिड़िया को दाने डालें. इससे जीवन में आ रहीं रुकावटें दूर होती हैं.