
Buddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा का हिंदू और बौद्ध धर्म दोनों में ही विशेष महत्व है. बौद्ध धर्म में यह पर्व भगवान गौतम बुद्ध को समर्पित है, जिन्हें भगवान विष्णु का ही 9वां अवतार कहा जाता है. एक संपन्न परिवार में पैदा हुए बुद्ध ने अपना सारा राजपाट त्यागकर संसार को दुखों से मुक्ति दिलाने वाले दिव्य ज्ञान की खोज की थी. बुद्ध के उपदेश आज भी लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं. भगवान बुद्ध को लेकर जापान में एक प्रचलित कहानी भी है. ये कहानी भगवान बुद्ध के चमत्कार और एक पापी इंसान के बारे में है.
एक बार गौतम बुद्ध स्वर्ग के चारों ओर घूम रहे थे. तब उन्हें अचानक किसी के जोर-जोर से चिल्लाने का आवाज सुनाई दी. वह कमल के एक तालाब के पास रुके तो उन्होंने एक आदमी को दलदल में फंसा हुआ देखा. इस आदमी का नाम कन्दता था. कन्दता एक खूंखार अपराधी था. लोगों को मारना, लूटपाट करना ही उसका पेशा था. लेकिन अपने पूरे जीवनकाल में उसने एक अच्छा काम था.
दरअसल, एक बार जंगल से गुजरते हुए उसका पैर एक मकड़ी पर पड़ने वाला था. लेकिन जैसे ही उसकी नजर मकड़ी पर पड़ी, उसने तुरंत अपना पैर पीछे खींच लिया और उसे जाने दिया. उसके इस अच्छे काम को ध्यान रखते हुए बुद्ध एक मकड़ी को बुलाते हैं और कन्दता को बचाने के लिए कहते हैं. बुद्ध की बात सुनते ही मकड़ी अपने धागे से एक बड़ा सा जाल बनाती है, जिसका एक धागा पकड़कर कन्दता बाहर निकलने लगता है.
नर्क से स्वर्ग तक की यह चढ़ाई काफी लंबी होती है. कन्दता थोड़ी देर रुक जाता है और नीचे की तरफ देखता है. उसे नजर आता है कि नर्क में फंसे लोग धागे का निचला हिस्सा पकड़कर उसके पीछे आ रहे हैं. वह डर जाता है कि कहीं लोगों के ज्यादा वजन से धागा टूट न जाए. वो पीछे आ रहे लोगों पर भड़क जाता है और उनसे कहता है कि मकड़ी का यह धागा सिर्फ उसके लिए भेजा गया है, इसलिए बाकी लोग उसे छोड़ दें. तभी अचानक धागा टूट जाता है और बाकी सभी पापियों के साथ कन्दता भी नर्क कुंड में गिर जाता है.
नर्क कुंड में गिरते समय कन्दता दोबारा मदद के लिए चिल्लाता है, लेकिन इस बार बुद्ध उस पर ध्यान नहीं देते हैं. बुद्ध केवल निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करने वालों का ही उद्धार करते हैं. दूसरों को नर्क में झुलसने के लिए छोड़ देने वाले व्यक्ति को बचाने बुद्ध कभी नहीं आएंगे. इसलिए बुद्ध ने दूसरी बार कन्दता को नहीं बचाया.